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प्रतिक्रमण सूत्र। कर के इच्छामि० दे कर इरियावहिय० पडिक्कम के तीन खमासमण दे कर चैत्य-वन्दन करे । श्रीजिनमन्दिर से बाहर निकलते हुए तीन बार 'आवस्सहि' कह कर निकले । पौषध-शाल्प में तीन बार 'निसिही' कह कर प्रवेश करे । पीछे इरियावहिय० पडिक्कमे ।
चौमासे के दिन हों तो मध्याह्न के देव-वन्दन से पहले ही मकान की दूसरी बार पडिलेहणा करे । ( चौमासे में मकान तीन बार पडिलेहना चाहिये) इरियावहिय० पडिक्कम के डंडासण से जगह पडिलेहके विधिसहित कूड़े-कजरे को परठव के इरियावहिय० पडिक्कमे । पाछे मध्याह्न का देव-वन्दन पूर्वोक्त विधि से करे। __ बाद जिस का तिविहाहार व्रत हो और पानी पीना हो वह तथा जिस ने आयंबिल, निवि अथवा एकासना किया हो वह पच्चक्खाण पारे ।
पच्चक्खाण पारने की विधि । इच्छामि०, इरियावहिय० प्रकट लोगस्स कह के 'इच्छामि०, इच्छा० चैत्य-वन्दन करूं ? इच्छं' कह के जगचिंतामणि का चैत्य० सम्पूर्ण जय वीयराय तक करे । पीछे 'इच्छामि०' इच्छा० सज्झाय करूं ? इच्छं' कह के एक नवकार पढ़ कर 'मन्नह जिणाणं' की सज्झाय करे। पीछे 'इच्छमि०, इच्छा० मुहपत्ति पडिलेहुं ? इच्छं' कह के मुहपत्ति पडिलेहे । पीछे 'इच्छामि०' इच्छा० पच्चक्खाणं
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