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प्रतिक्रमण सूत्र ।
कन्दन 'जय वीयराय-पर्यन्त करे। बाद अरिहंत चेइयाणं० और एक नवकार का काउस्सग्ग पार के नमोऽर्हत्० कह कर सीमंधरस्वामी की थुइ कहे । फिर सिद्धाचलजी का चैत्य-वन्दन भी इसी प्रकार करे। सिद्धाचल जी का चैत्य-वन्दन, स्तवन और थुइ कहे बाद सामायिक पारने की विधि से सामायिक पारे ।
पौषध लेने की विधि । प्रथम खमासमणपूर्वक 'इरियावहिय' पडिक्कम कर 'चंदेसु निम्मलयरा' तक एक लोगस्स का काउस्सग्ग कर के प्रकट लोगस्स कहे । पीछे 'इच्छामि०, इच्छाकारेण संदिसह भगवन् पोसह मुहपत्ति पडिलेहुं ? इच्छं' कह के मुहपत्ति पडिलेहे । बाद इच्छामि०, इच्छा० पोसह संदिसाहुं ? इच्छं'; इच्छामि०, इच्छा० पोसह ठाउं? इच्छं' कह कर दो हाथ जोड़ एक नवकार पढ़ के 'इच्छ कारि भगवन् पसायकरी पासहदंड उच्चरावो जी' कहे। पीछे पोसहदंड उच्चरे या उच्चरवावे । पीछे 'इच्छामि०, इच्छा० सामायिक मुहपत्ति पडिलेहुं ? इच्छं' कहे । पीछे मुहपत्ति पडिलेहन कर "इच्छामि० इच्छा० सामायिक संदिसाहुं ? इच्छं; इच्छामि०, इच्छा० सामायिक ठाउं ? इच्छं' कहे। पीछे दो हाथ जोड़ एक नवकार गिव के "इच्छकारि भगवन् पसायकरी सामायिकदंड उच्चरावोजी" कह कर 'करेमि भंते सामाइयं' का पाठ पढ़े, जिस में 'बाव नियम' की जगह 'जाव पोसह' कहे । पीछे इच्छामि०, इच्छा बेसणे संदिसाहुं ? इच्छं' ; इच्छामि०, इच्छा० बेसणे ठाउं ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org