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प्रातक्रमण सूत्र । ललित पदों की रचना के कारण आगम भी सुहावना है । लगातार बड़ी बड़ी तरङ्गों के उठते रहने से जैसे समुद्र में प्रवेश करना कठिन है वैसे ही जीवदया-सम्बन्धी सूक्ष्म विचारों से परिपूर्ण होने के कारण आगम में भी प्रवेश करना अति कठिन है । जैसे समुद्र के बड़े बड़े तट होते हैं वैसे ही आगम में भी बड़ी बड़ी चूलिकाएँ हैं। जिस प्रकार समुद्र में मोती मूंगे आदि श्रेष्ठ वस्तुएँ होती हैं इस प्रकार आगम में भी बड़े बड़े उत्तम गम-आलावे, ( सदृश पाठ ) हैं। तथा जिस प्रकार समुद्र का पार-सामना किनारा-बहुत ही दूरवर्ती होता है वैसे ही आगम का भी पार-पूर्ण रीति से मर्मसमझना-दूर ( अत्यन्त मुश्किल ) है । ऐसे आगम की मैं आदर तथा विधिपूर्वक सेवा करता हूँ ॥३॥
आमूलालोलधूलीबहुलपरिमलालीढलोलालिमालाझङ्कारारावसारामलदलकमलागारभूमिनिवासे ।। १-चूलिका का पर्याय अर्थात् दूसरा नाम उत्तर-तन्त्र है। शास्त्र के उस हिस्से को उत्तर-तन्त्र कहते हैं जिस में पूर्वार्ध में कहे हुए और नहीं कहे हुए विषयों का संग्रह हो दशवैकालिक नि० गा० ३५९ पृ. २६९, आचाराङ्ग टीका पृ० ६८ नन्दि-वृत्ति पृ. २०६)
२-गम के तीन अर्थ देखे जाते हैं:-(१) सदृश पाठ (विशेषावश्यक भाष्य गाथा० ५४८) (२) एक सूत्र से होने वाले अनेक अर्थ बोध (३) एक सूत्र के विविध व्युत्पत्तिलभ्य अनेक अर्थ और अन्वय (नन्दि-वृत्ति पृ०२११- २१२॥
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