Book Title: Madras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Author(s): Mulchand Kishandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia
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१०] प्राचीन जैन स्मारक।
(५) मल्लियाह-(उच्चस्थान )-इसके उत्तरमें उदयगिरिका तालुका है वहां २३०० फुट ऊंचाई है। पश्चिमकी तरफ वल्लिगुडा और पोकिरी वोन्दोकी तरफ १७०० से १५०० फुट है और वल्लिगुडाके दक्षिण १००० फुट कठघरपर है।
(६) मुखलिंगम्-ग्राम परलाकी मेडी तहसीलमें यहांसे१८ मील । यहां नौमी शताब्दीके दो मंदिर हैं । यह प्राचीन कलिंग देशके गंगवंशी राजाओंकी राज्यधानी थी । लेखोंसे मालूम होता है कि यहां बौद्ध लोग रहते थे। ।
(७) श्रीकृनम्-तालुका चिकाकोल-यहांसे दक्षिण पूर्व ९ मील । यहां रामानुजाचार्यका बनवाया विष्णु मंदिर है । पहले यह शिव मंदिर था । उसके द्वार और स्तम्भ सुन्दर हैं । यहां तेलुगू
और देवनागरीमें अनेक प्राचीन लेख हैं । ११वीं शताब्दीसे लेकर ८०० वर्षके हैं जिनमें गंगवंश, मत्स्यवंश, शीलवंश और चालुक्यवंशका जानने योग्य इतिहास है।
नोट-यद्यपि उपरके स्थानोंमें अधिकमें किसी जैन चिह्नका वर्णन नहीं है तथापि इन सब स्थानोंकी खोज जैनियोंके द्वारा होनेसे जैन चिह्नकी बहुत संभावना है क्योंकि कलिंग देशमें बहुतसे जैन राना हुए हैं । गंगवंशका तो प्रधान धर्म जैन था ।
(८) मालती पर्वत-कोटशिला यही विदित होती है
इसका वर्णन List of antiquarian remains of Madras by Robert Sewell (1882) पुस्तकमें है। वहांसे मालूम हुआ कि यह ऊंचा पर्वत गुमसर तालुकाके पासलपादा भागमें गुमसरसे दक्षिणको है। यहां प्राचीन किला व प्राचीन