Book Title: Madras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Author(s): Mulchand Kishandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia
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प्राचीन जैन स्मारक ।
नोट - नैनार शब्दके अर्थ पापरहित हैं। कहते हैं जब हिन्दू लोगोंने तंग किया तब कुछ नॅनारोंने अपना बाहरी नाम राय, चेट्टी आदि रखा। पुरातत्त्व - यहां बहुत से समाधिस्थान है ( Kistvaens ) प्रसिद्ध समूह पलमानेर तालुकाके वापनत्तन ग्राममें हैं । ये प्राचीन I कुरुम्बोंकी कारीगरी है । पदवेदु नामका ध्वंश नगर उनकी राज्यधानी थी । प्राचीन जैनियों द्वारा स्थापित मूर्तियें चट्टानोंपर नीचे लिखे स्थानों पर पाई जाती हैं:
(१) तालुका अर्काटमें पंच पांडवमलईपर
(२)
भामन्यूरपर तिरुबत्तूरपर
(३)
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(8) पोलूर में तिरुमलईपर (9) चित्तूर में बल्लिमलईपर
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शिलालेख बहुत मिलते हैं जिनमें से बहुतसे अभीतक नहीं गए हैं । सबसे बढ़िया जैन मंदिर अरुन्गुलम् में है ।
यहांके मुख्य स्थान |
(१) वापनत्तन - ता० पालमनेर - यहांसे १७ मील । इतिहासके पूर्व के समाधिस्थान ( Kietvaens ) हैं इनको पांच पांडवों के मंदिर कहते हैं | (Indian Antiquary Vol. 10) अर्काट तालुका स्थान ! यहां १०६६ जैन हैं ।
(१) तिरुवत्तूर - यह प्राचीनकाल में जैनियोंके मुख्य नगरों में से एक नगर था । यहां जो मंदिर हैं वे मूलमें इन जैनियों के होंगे । जैनियों को बहुत कष्ट दिया गया था । इस ग्राममें प्राचीन जैन मंदि