Book Title: Madras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Author(s): Mulchand Kishandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia
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मदरास व मैसूर प्रान्त ।
[ १३१ शाका १५४९ । (४) अक्कनगल वस्ती में शाका १५२६ । स्थानीय रानीने मंदिर बनवाया । (५) तीर्थकर वस्ती में शाका ११४६स्थानीय राजाने मंदिर बनवाया । Indian Antiquary V. 36. श्रीबाहुबलिस्वामी येनूर - इंडियन ऐन्टिकेरी जिल्द ५ पृष्ठ ३६-३७ से यह विदित हुआ कि - येनूर कारकलसे पूर्व २४ मील यह गुरुपुरनदी तटपर वसा है। श्रीबाहुबलिस्वामी की मूर्तिका पग ८ फुट ३ इंच लम्बा है ।
यहां श्री शांतिनाथस्वामीके मंदिरमें एक शिलालेख है उससे प्रगट है कि शाका सम्वत ११२६ (सन् १६०४) वीर निम्मराजा अजलरके शासक ने यह श्रीगोमटस्वामीकी मूर्ति स्थापित की और श्रीशांतेश्वरके चैत्यालय के निर्माणके लिये भूमिका दान महाखणी पदिलेवदेवीके मंत्री पांडिप्प ओरस विन्नानेको सुपुर्द की तब उसने यह मंदिर बनवाया ।
कारकल - यहां जो चौमुखा मंदिर छोटी पहाड़ीपर है उसमें कनड़ी में एक लेख है जिसका भाव नीचे प्रकार है । " श्रीजिनेन्द्रकी कृपासे भैरवेन्द्रकी जय हो, श्रीपार्श्वनाथ सुमति दें । श्री 1 नेमि जिन बल व यश दें, श्री अरह, मल्लि, सुव्रत ऐश्वर्य दें, पोम्बुचाकी पद्मावतीदेवी इच्छा पूर्ण करे । पनसोगाके देशीयगणके गुरु ललितकीर्तिके उपदेशसे सोमकुली, जिनदत्तकुलोत्पन्न, भैरवराजाकी बहन गुम्मतम्बाके पुत्र, पोमच्छपुरके स्वामी, ६४ राजाओंमें मुख्य, वंग नगरके राजा न्यायशास्त्र के ज्ञाता, काश्यपगोत्री इम्मदिभैरवने कापेकल (कारकल) की पांड्यनगरीमें श्रीगोमटेश्वर के सामने चिक्कवेव्चर चैत्यालय बनवाया तथा शालिवाहन सं० १९०८ चैत्रसुदी