Book Title: Madras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Author(s): Mulchand Kishandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia
View full book text
________________
मदरास व मैसर प्रान्त । [१२९ . (३)-शाका १२५६ (सन् १३३४) हरियनगड़ी गुरुगल वस्तीके पूर्व तरफ । देवराज राजा कृत दान ।
(४)-शाका १३५३ (सन् १४३१) श्री गोमटस्वामी मूर्तिके. पूर्व, वीरपांडय रानाद्वारा दान ।
(५)- शाका १३४६ ( सन् १४२४ ) वारंगवस्तीके पूर्वविजयनगरके देवराज द्वारा दान ।
(६)-शाका १३७७ हरियंडीके जैन मंदिर श्रीनेमीश्वरदेवको दान ।
(४४) मूडबिद्री-ता० मंगलोर-यहांसे पूर्व २१ मील । यह प्राचीन जैन राजा चौटरवंशका प्रसिद्ध नगर था । अब भी चौटरवंशी रहते हैं । उनको पेन्शन मिलती हैं। यहां १८ जैन मंदिर हैं, सबसे बढ़िया चंद्रनाथ मंदिर है। पासमें कई जैन साधुओंके समाधिस्थान हैं। पुराना पाषाणका पुल है, रानाका पुराना महल है जिसमें लकडीकी छतपर बढ़िया खुदाई है व भीतोंपर चित्र खुदे हुए हैं। यहां बहुतमे शिलालेख हैं उनमेंसे कुछका वर्णन नीचे प्रमाण है।
- (१) गुरुवस्तीके गड्डिगे मंडपके स्तम्भपर-शाका १५३७ (सन् १६१५) एक भाईने मंडप बनवाया ।
(२) इसी वस्तीके एक पाषाण पर शाका १३२९ ( सन् १४०७ ) में स्थानीय राजाने दान किया।
(३) होरमवस्तीके भैरवदेव मंडपके उत्तर दक्षिण एक स्तम्भपर एक भाईने मंडप बनवाया ।
(४) यही वस्ती शाका १३८४ (सन् १४६२ ) यहांके चित्रमंडपम्के बनानेके लिये दान ।