Book Title: Madras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Author(s): Mulchand Kishandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

View full book text
Previous | Next

Page 313
________________ मदरास व मैसूर प्रान्त। [२७९ शिष्य थे-नेमिचन्द भट्टारकदेव व अभचन्द्र सिद्धांती । ये बड़े नैयायिक व तत्वज्ञानी थे। ये दोनों श्रीबालचन्द्र व्रतीशके क्रमसे दीक्षा गुरु और श्रुत गुरु थे। अभयचन्द्र सिद्धांतिकने पर्यकासनसे सन्यास लिया । दोर समुद्रके वासियोंने उनका स्मारक बनाया। (१८) नं० १३४ ता० १३०० ई० वहीं दूसरी मूर्तिके पाषाणपर । श्रीबालचन्द्र पंडितदेवके शिष्य रामचन्द्र मलधारीदेवकी समाधि, पर्यकासनसे सन्यास लिया । श्रीरामचंद्रके शिप्य श्री शुभचन्द्रदेव थे। (१९) नं० १३८ सन् १२४८ । ग्राम हीरेहल्ली मल्लेश्वर मंदिरकी दक्षिण भीतपर पाषाण । द्रामिलसंघी वासुपूज्य मुनि शिप्य पेरूमलदेवके शिष्य श्रावक, होन्नेगोविंद और जक्का गोविंदीके पुत्र अप्पाने जिनमंदिर बनवाया और भूमि दान दी। तालुका आरसोकेरी । (२०) नं० १ सन् ११६९ ई०-ग्राम बंदियरमें जैन वस्तीके . पाषाणपर-इस समय होयसाल वल्लालदेव दोरसमुद्रमें राज्य कररहे थे। यहां मुनि बंशावली दी है। श्री गौतम, भद्रबाहु, भूतबलि, पुष्पदंत, एकसंघि, सुमति भ०, समंतभद्र, भट्टाकलंकदेव, वक्रग्रीवाचार्य, वजनंदि भट्टारक, सिंहनंद्याचार्य, परवादीमल्ल श्रीपालदेव, कनकसेन, श्रीवादिराज, श्रीविजयदेव, श्रीवादिराजदेव, अजितसेन पंडितदेव, मल्लिषण मलधारीदेव, श्रीपालयोगीन्द्र, इनके शिष्य श्री वासपूज्य व्रतीन्द्र थे इनके शिष्य श्रावक बलदेव थे, भार्या सावियक्का-इनके पुत्र वेल्लिय दास सेठ भार्या वोकीयके, इनकी बहनके पुत्र थे-हेगड़े मादिराज, शंकरसेठी, वेल्लिय दास सेठने दोरसमुद्रमें

Loading...

Page Navigation
1 ... 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373