Book Title: Madras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Author(s): Mulchand Kishandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia
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मदरास व मैसूर प्रान्त । [२८३ ग० पुस्तक ग• कुन्द० गुणभद्र मि०देवके शि० नयकीर्ति सि. देवके अध्यात्मीक बालचन्द्र मुनींद्र थे, वेलगोलामें जिनपति पावनाथका मंदिर बनवाया, तब महाराजने पूजार्थ ग्राम बम्मेयनहल्ली भेट किया।
(३०) नं० १५१ सन् १२०० करीब । उसी मंदिरके सामने वल्लालराजाके राज्यमें श्रीपालयोगीन्द्रके मुख्य शिप्य वादिराजदेव थे । उन्होंने अपने गुरुके स्वर्गवासपर सल्प ग्राममें परमादी मल्ल जिनालय बनवाया। कुन्दच्छनायककी स्त्री राचवनायकके पुत्र कुंदद हेगड़ेने नयचक्रदेवकी आज्ञासे जैनमंदिर बनवाया । तब महामंत्री व सर्वाधिकारी उत्सवोंके प्रबंधक कम्मट माचय्या और उनके श्वसुर बालप्पाने मंदिरजीमें दीपकके लिये तेलकी मिलोंपर कर बिठाया । महामंत्री व भंडारी हल्लय्याके साले अश्वोंके प्रबंधक हरिपन्नाने कुम्वयनहल्ली ग्राम भेट किया। श्री वादिराजदेवके बड़े भाई परवादीमल्ल पंडित तथा उयाद थे। ___(३१) नं० १६६ सन् ११८६ ग्रामगंदासी, एक पाषाण'पर । यहां ग्राममें मोन गनकट्टके स्वामी रामदेवने एक ऊंचा जिन मंदिर बनवाया। इसके गुरु अध्यात्मिक बालचंद्रके शिष्य मुनि मेघचंद्र थे। श्री शांतिनाथकी पूजा, मंदिर जीर्णोद्धार व दानके लिये बनवासीके स्वामी मोल्तादनायक व डिंदीयूर वृति व मेले १०००के गौंड और प्रभू लोगोंने भूमि दान की। ___(३२) नं० १९८ सन ११३०के करी । तगदूरु ग्राममें पुराने ग्रामके स्थानके पाषाणपर। वीरगंग विष्णुवर्द्धनके राज्यमें । उनके दंडाधिप मरियाने और भरत राजा थे। मरियानेकी भार्या