Book Title: Madras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Author(s): Mulchand Kishandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia
View full book text
________________
मदरास व मैसूर प्रान्त। [२८७ पुरातत्व-सोसेवियर वा अंगदीमें बहुत दिया जैन मंदिर हैं अब वे ध्वंश होगए हैं । यह स्थान होयसालोंकी मूल उत्पत्तिका है । यहां खुदाईके पांच नमूने बढ़िया हैं।
यहांके मुख्य स्थान। (१) अंगदी-ता० बुदगेरी-यहांसे ७ मील । यही प्राचीन सोसेवियर या शसिपुर या शसिष्टकपुर है । यहां दो जैन मंदिर सुंदर व प्राचीन हैं। होयसालोंकी देवी वासंतकी थी जिसकी यहां बहुत मान्यता थी।
(२) कलस-ता; मुदगेरी यहांसे उत्तर पूर्व २४ मील । यहां कलसेश्वरका बड़ा मंदिर है। यह मूलमें जैन मंदिर था। तेरहवीं शताब्दीके ताम्रपत्रमें जैन महारानीका दान पत्र है। पाषाण लेख सन् १५ वी व १६ वीं शताब्दीका है जो कारकलके भैररस ओडयरोंका है।
३) श्रृंगेरी-तुंगा नदीपर ग्राम १५ मील दक्षिण पश्चिम ता० मुदगेरी। यहां (वीं शताब्दीके शंकराचार्यका मठ है । इसने जैन और बौद्धका बहुत साहित्य नष्ट किया-एक जैन मंदिर भी है।
(४) वस्तरा-ता चिकमगल्टर-यहांसे दक्षिण पश्चिम ६ मील। इसको शांतरस हूमश राजाओंने बसाया था। यहां पद्मावती देवीका पुराना मंदिर है। इसमें बड़ी सुन्दर बड़ी मूर्ति सप्त मातृकाकी है तथा एक राजा और उसके मंत्रीकी मूर्ति बैठी हुई आमने सामने हैं। यह बहुत ही बढ़िया शिल्पकला है। शायद ११वीं शताब्दीकी हो । इस जिलेके कुछ जैन शिलालेख (एपिग्रैफिका कर्णाटिका जिल्द छठीसे )