Book Title: Madras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Author(s): Mulchand Kishandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 335
________________ मदरास व मैमूर प्रान्त । [३०१ बावासे बनाई हुई पट्टद तीर्थकी जैन वस्तीको पाषाणका बनवाया और शाका १०४३ या सन् ११२२में कुरुली आदि २५ जिन चैत्यालय बनवाए, भूमिदान की व वसढियहल्लीका महसूल भी दिया। इसकी पट्ट महादेवी कंचलदेवी थी, इसका पुत्र हमोदीदेव था। यह देवी पद्मावतीकी भक्त थी। यह हमोदी देव परमादी श्री बुधचन्द्र पंडितदेवका शिप्य था । (२) नं० ६ सन् १०६०के करीब । ग्राम हरकेरी, रामेश्वर मंदिरके रंगमंडपके उत्तर-पश्चिम खंभेपर । महामंडलेश्वर भुजबलगंग परमादीदेवने मदलीतीर्थके पट्टद बस्तीके लिये भूमिदान की। इसकी पट्टदेवी गंग महादेवी और उसके पुत्र मारसिंहदेव सप्तगंग, राक्षसगंग, भुजबल व उसके पुत्र मारसिंहदेव नन्नियगंग परमादी सबने भूमि दान की। (३) नं० १० सन् १० ८५के करीब-ग्राम तत्तीकरी रामेश्वर मंदिर के सामने । जब नन्नियगंग राज्य करते थे तब एक पोलि. पम्मा थे उनकी भायर्या कलयव्ये थी। उनका पुत्र नोकय्या था । इसको मंदलीके चागोविन्दको कन्याएं कलेयव्वे और मल्लियने विवाही गई । कलयव्वेका पुत्र गुञ्जम या परमादी गोबुन्द था । मलियव्येने मिनदास पुत्रको जन्म दिया । जब नौक्कप्पा अपने दोनों पुत्रों के साथ रहता था तब गंग परमादी देवने तल्ली कैरीकी मुलाकत ली और नोरकप्पाको वहांका राज्य दे महामंत्री बनाया । इसने सरोवर, मंदिर व दानशालाएं बनवाई। इसने पापाणका जिन मंदिर बनवाया व दो जिन मंदिर हरिगे तथा नेल्लावत्तीमें बनवाए। जिनदासके मरनेपर नेल्लाबत्ती और तल्लीकेरीके मिन मंदिरोंके

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