Book Title: Madras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Author(s): Mulchand Kishandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 360
________________ ३२६ ] प्राचीन जैन स्मारक | (८) चीतलडुग जिला | यह जिला मैसूर से उत्तर है । पुरातत्त्व - यहां प्राचीन समाधि स्थान हैं, जैसे मलकालमेरुमें है जहां अशोकका शिला स्तंभ पाया गया है जिसको मौर्यमने या मौर्योका घर कहते हैं । यह स्थान बेड़ोंकी वस्तीका है । ऐसा मालूम होता है कि यहां उत्तर ( बेडग ) से आकर कनड़ी लोग नीलगिरि वेडग कहलाने लगे । यहांके स्थान | (१) ब्रह्मगिरि- ता० नलकालमेरुमें एक पहाड़ी है- सन् १८९२ में यहां एक बड़े पाषाण पर अशोकका लेख पाया गया था | इसके पश्चिम सिला यान है यह प्राचीन सिद्धपुर है । (२) चीतलडुग - होलालकेरी टे० से उत्तरपूर्व २४ मील । यहां पश्चिममें प्राचीन नगर चंद्रावलीके चिह्न हैं । बौद्धोंके सिक्के मिलते हैं । दूसरी शताब्दी के मंत्र या शतवाहनके हैं - पुरानी गुफाएं हैं । कुछ मंदिर ५०० वर्षके पुराने हैं। पंचलिंग गुफा में हो मालवंशका लेख सन् १२८३का है । (३) निर्गुड ता० होसदुर्गा - यहांसे ७ मील। यहां ८ वीं शताब्दी में जैनवमी गंगवंशी राजाओंके ३०० प्रांतकी राज्यधानी थी इसको उत्तरके राजा नीलशेषरने सन ई० से १६० पूर्व स्थापित किया था बहुत प्राचीन नगर था ! (४) सिद्धपुर - मैसुर नगरले उत्तर पूर्व ९ मील । ता० मलकालमेरु | यहां अशोकका स्तम्भ पाया गया है । इस जिलेमें सन् १९०१ से पहले जैनी ८३९ थे ।

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