Book Title: Madras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Author(s): Mulchand Kishandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia
View full book text
________________
मदरास व मैसूर प्रान्त । [२४७ ___नं० ६७ (५४) सन् ११२९ कहता है कि बिनयदित्य जैनाचार्य शांतिदेवकी कृपासे एक महान शासक हुआ तथा नं० १४३ कहता है कि उसने जैन मंदिर और सरोवर बनवाये ।
विनयदित्यका पुत्र एरयंग था। लेख नं० ३२७ और ३४५ में कहागया है कि यह चालुक्योंका दाहना बाहु था ।
नं० ३४९में कहा है कि इसने मालवाझा धारनगर विध्वंश किया, चोलोंकी सेनाको भगाया, चक्रगतको नष्ट किया, कलिंग देशको ध्वंश किया। इसकी भाया एचलदेवी थी जिससे तीन पुत्र हुए-(१) वल्लाल प्रथम (२) विष्णुवर्धन और उदयादित्य ।
नं. १३७ सन् १११७ तिरिनीवस्ती कहता है कि महारानके दरबारके व्यापारी जैनधर्मके पके श्रद्धानी पोयसाल सेठी और नेमीसेठी थे, इनकी माता क्रमसे माची कव्वे और शांति कब्वे थी जिन्होंने भानुकीर्ति आचार्यका उपदेश पाया था तथा चंद्रगिरिपर तिरिनी वस्ती बनवाई।
चरित्र गंगराजा । लेख नं० ३८८ कहता है कि खामी द्रोहधरह गंगराजाने बेलगोकाके पवित्र स्थानपर जिननाथपुर वसाया । लेख नं० ७३ (५९) सन् १११८ शासनवस्ती, नं० १२५ (४५) एरदुकट्टेवस्ती नं० २४० (९०) गोमटेश्वर मंदिर, नं० २५१ ब्रह्मदेव मंडप, नं० ३८४ (१४४) एरग्गुलेवस्ती जिननाथपुर, नं० ३९, सन् १११९ सामनहल्ली ग्राम-महाराज विष्णुवईनके राज्यमें जैनधर्मी गंगराजा सेनापतिकी योग्यता और वीरताको बताते हैं। इनमें इसकी वंशावली इस भांति है।
२) सन् १
गोमटेयर मानिनाथपुर,