Book Title: Madras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Author(s): Mulchand Kishandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia
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मदरास व मैसूर मान्त। [१२७ इनकी संख्म अठारह है । इन मंदिरों के भीतर बहुत ही बढ़िया खुदाईका काम लकड़ी पर है । सबसे बड़ा मंदिर मूविद्रीमें तीन खनका है । इसमें १००० स्तम्भ हैं । भीतरके खंभोंमें बहुत ही बढ़िया खुदाई है । (३) तीसरे प्रकारके स्मारक स्तम्म हैं । सबसे सुन्दर स्तम्भ कारफलके पास हवन गुडीपर हैं। यह एक पाषाणका है । मूलसे शिखर तक ५० फुट है । यह ३३ फुट लम्बा है व इसमें बहुत अच्छी कारीगरी की गई है । बारकुर एक दफे जैन राजाओंकी राज्यधानी थी जिसको लिंगायतोंने १७ वीं शताब्दीमें नष्ट किया । इसमें भी बहुत बढ़िया जैनियोंके मकान थे परन्तु अब बिलकुल ध्वंश होगए हैं।
यहांके मुख्य स्थान । (१) वारकुर-ता० उड़िपी में एक ग्राम, वहांसे ९ मील। यह तुलुवा देशकी ऐतिहासिक राज्यधानी है । यह दीर्घकाल तक दोर समुद्र के होत्रसाल वल्लालोंकी राज्यभूमि थी जिनका धर्म जैन था । १२ वी व १३ वीं शत दीमें स्थानीय जैन राना स्वतंत्र होगए. उनमें बहुत बलवान भूताल पांड्य था जिसने अलियासंतान कानून चलाया। इसका मृल विजयनगर राज्यके स्थापनसे पहले ही बन चुका था जो सन १६३६ में स्थापित हुआ जिसका पहला राना हारेहर था इसने रायरूको यहांका वाइसराय नियत किया और एक किला बनवाया जिसके ध्वंश अवतक दिखते हैं। विजयनगरके पतनपर वेदनूर राना म्वतंत्र हो गए तब जैनियोंले युद्ध हुआ, उसमें जेनी नष्ट हुए । ध्वंस सरोवर, जैन मंदिर व मूर्तियां अब भी यहां बहुत हैं परन्तु जैनका कोई घर नहीं है ।