Book Title: Madras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Author(s): Mulchand Kishandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia
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१२८] प्राचीन जैन स्मारक ।
(२) कल्याणपुर-ता० उडिपी। यह वैष्णव गुरु माधवाचार्यकी जन्मभूमि है जो सन् ११९९ में जन्मे थे।
(३) कारकल-ता० उड़िपी-उडपीसे १८ मील, मंगलोरसे २६ मील । यह एक समय बड़ा नगर था, जैनी बहुत थे। भैररसा
ओडियर जैन बलवान रानाओंकी राज्यधानी थी। यहां बहुत स्मारक हैं। श्री गोमटम्वामीकी मूर्ति है जिसका अभिषेक जैन लोग दुग्धादिसे प्रत्येक ६० वर्ष पीछे करते हैं। उत्तरमें एक छोटी पहाड़ीके ऊपर एक चौबूटा मंदिर चार द्वार सहित है। इसके द्वार व स्तंभ आदि बहुत बढ़िया खुद ईवाले हैं। हरएक द्वारके सामने तीन कायोत्सर्ग तांबेकी पुरुषाकार मूर्तियां हैं। हवरगड़ीमें जैन स्तंभ बहुत बदया है और भी कई जैन मंदिर दर्शनीय हैं। यहां भट्टारकनाका मठ है।
.१६वीं शतानीके मध्य में भररमा ओडियर अंतिम राजा हुआ। उसके सात कन्याएं थीं। इन्होंने राज्य परस्पर बांट लिया तथा हरएकने अपना नाम वरदेवी या भैरवदेवी रक्खा । वरदेवीकी कन्याने जैरसप्पाके इचियप्पा ओडिया को बबाहा तव उसने सब गज्यको फिर मिला लिया क्योंकि उनकी मब चाची विना संतान मर गई थीं परन्तु इस वंशका नाश १ ७ वीं शताब्दीके प्रारम्भमें शिवप्पा नायक लिंगायतने किया। यहां कई शिलालेख हैं उनमेंसे कुछ नीचे प्रमाण हैं---
(१)-शाका १५१४ (सन् १५९२) हरियनगड़ीकी गुरुगम वस्तीके दक्षिण तरफ-र जा पांड्यप्पा ओडियर द्वारा दान । . (२)-शाका १५०८ (सन् १९७९) हरियनगड़ी अम्मनवर बस्तीके उत्तर भैरवराज ओडियर द्वारा दान ।