Book Title: Madras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Author(s): Mulchand Kishandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia
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प्राचीन जैन स्मारक |
नोट- कुछ बीचके नाम रह गए हैं। इसके आगे भी रह
गए हैं। पीछे नाम ये हैं
नंडाराज
नंजुदराजा श्रीकंठराजेय
वीरराज ओडयर
विरिय राजैयदेव रुद्रगण नंजुददेव नंज राजेय्या देव
"9
कृष्ण वीर राजय्या
"9
१५०२-१९३३
१५४४
१९९९ - १९८०
१९८६-१६०७
१६१२-१६१९
१६१७
१६१९ - १६३८
(५) हासन जिला |
यहां सन् १९०१ में १३२१ जैनी थे ।
इतिहास - वनवासीके कादम्बवंशी राजाओंने चौथी और पांचमी शताब्दी से ११ वीं शताब्दी तक यहां राज्य किया था । बहुत भाग गंग राजाओंके हाथमें था जिनके लेख मिले हैं। गंगराजाके मंत्री चामुंडरायने सन् ९८३ में श्रीगोमटस्वामीकी महान प्रतिमाकी प्रतिष्ठा कराई है । मूर्ति के चरणोंपर मराठी, कनड़ी, तामिल, नागरी हलकनड़ी, ग्रंथ, वट्टेलुतू अक्षर में यह बात लिखी है । यहांके कुछ स्थान ।
(१) बेलूर - ता० वेल्लूर । हासनसे उत्तर पश्चिम २४ मील । इसको दक्षिण बनारस कहते थे । यहां बिष्णुवर्द्धन राजाने जैनधमसे वैष्णव धर्मी होकर चेन्नकेशवका सुन्दर मंदिर बनवाया ।