Book Title: Madras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Author(s): Mulchand Kishandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia
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२१०] प्राचीन जैन स्मारक।
(५) सुपार्श्वनाथ वस्ती-यह २५ से १४ फुट है । इसमें पल्यंकासन श्रीसुपार्श्वनाथ महाराज ३ फुट ऊंचे ७ फणके सर्प सहित व चमरेंद्रों सहित विरानमान है। ____ (६) चन्द्रप्रभ वस्ती-यह ४२ से २५ फुट है। श्रीचन्द्रप्रभको मूर्ति पल्यंकासन ३ फुट ऊंची है। पासमें श्यामा और ज्वालामलिनी देवी सुखासन हैं । बाहरकी भीतपा शिलालेख नं. ४१५ है जिससे प्रगट है कि आठवीं शताब्दीके अनुमान इस मंदिरको गंगवंशी श्रीपुरुषके पुत्र शिवमारने बनवाया था ।
(७) चामुण्डराय वस्ती-यह बहुत ही सुन्दर है । ६८ से ८६ फुट है। ऊपर भी मंदिर है। नीचे श्रीनेमिनाथकी मूर्ति पल्यंकामन ५ फुट ऊंची चमरेन्द्र सहित है । गर्भगृहके बगलोंमें श्री नेमिनाथनीके यक्ष सर्वान्ह और यक्षिणी कूप्मांडिनी बिराजमान हैं। बाहरी द्वारके बगल की भीतपर शिलालेख हैं। नं. १२२ सन् ९८२के अनुमानका है जो स.फर कहता है कि चामुण्डरायने इस मंदिरीको बनवाया । परन्तु श्रीनेमिनाथ भगवानके आसनपर लेख नं० १२० सन् ११३८के अनुमान का है। यह कहता है कि गंगराना सेनापतिके पुत्र एचनने त्रैलोक्यरअन या बोधन चैत्यालय नामका मंदिर बनवाया । इससे प्रगट है कि शायद यह मूर्ति इस मंदिर की मूल प्रतिमा नहीं है । ऊपरके खनपर श्री पार्श्वनाथको मूर्ति ३ फुट ऊंची है । इसके आसनपर लेख नं० १२१ करीब ९९५ सन्का है जो कहता है कि मंत्री चामुंडराय के पुत्र जिनदेवने वेलगोला पर जिन मंदिर बनवाया।
(८) शास। वस्ती-इस वस्तीका नाम इसलिये पड़ा है कि