Book Title: Madras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Author(s): Mulchand Kishandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia
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मदराय व पैसा पाइन्छ। [१३७ (२९) बुन्द-कुन्गारसे उत्तर ९ मील। एक जैन मंदिरके ध्वंश हैं । इसमें दो जैन मूर्तियां हैं ।
(३०) बंगडी-उप्पिननगुड़ीसे उत्तर पूर्व २४ मील । श्रीशांतिनाथ नीका प्राचीन जैन मंदिर है। यहांके शांतिराज इन्द्रके पास नीचे लिखे ६ ताम्रपत्र हैं.-...-. (१) शाका १५१७ वरदा सेठ द्वारा दान । (२) , १४३८ विजयनगरके रत्नप्पा ओडयर और अजप्या
ओड़यर द्वारा दान । (३) , १९१७ कमी रायसंग द्वारा दान । (४) ,, १३४३ कल्लीमणिदा द्वारा दान । (५) ,, १५१७ कन्नीराय वंग राजा श्रोड्यर द्वारा दान । (६) ,, १६४८ कारकळके अतिकीर्तिदेव द्वारा दान ।
(३१) कुट्टियर-इप्पिननगदीसे उत्तर पूर्व १२ मील । श्रीशांतिनाथजीका जैन मंदिर, यहां दो कनड़ी शिलालेख हैं।
(१) शाका १०४४ जैन नगरवासियों द्वारा दान । (२) मानस्तंभ पर एक लेख इसी प्रकारका हैं ।
(३२) सिबोजी-उप्पिननगडीसे उत्तर पूर्व १६ मील । श्री अनंतनाथजीका प्राचीन जैनमंदिर । प्राचीन कनड़ी लेख बाका १४६४-बीरभन्नबौडेय असू द्वारा दान ।
मदरासके एपिग्राफी दफ्तरमें नीचे लिखे चित्रादि हैं(१) बं० सी ३३ मूडबिद्रीमें एक मूर्ति जो कलुन गुलसे आई (२) नं. सी २४ , श्री चन्द्रनाथ मंदिरका पूर्वीय भाग (३) , , ३५ . , , दक्षिण पूर्वीय भाम