Book Title: Madras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Author(s): Mulchand Kishandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia
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१२०] प्राचीन जैन स्मारक । (२३) दक्षिण कनड़ा या तुलब जिला।
यहां ४ ०२१ वर्गमील स्थान है । इसकी चौहद्दी इस प्रकार है-उत्तरमें बम्बई, पूर्वमें मैमूर और कुर्ग, दक्षिणमें कुर्ग और मलाबार, पश्चिममें अरब समुद्र ।।
इतिहास-यह जिला कांचीके पल्लवोंके राज्यमें गर्भित था जिसकी पुरानी राज्यधानी वीजापुर जिलेमें वाताची या बदामीपर थी। उनके पीछे बनवासीके प्राचीन कादम्ब राजाओंने राज्य किया निस बनवासीको यूनानके भूगोल हाता टोलिमीने बनौसिर Janau.ir लिखा है ( दूसरी शताब्दी)। यह बनवासी उत्तर कनड़ामें है । छठी शताब्दीके अनुमान पूर्वीय च लुक्योंने दबा दिया जो बादामीमें जम गए । आठवीं शताब्दी के मध्यमें इनको कादम्ब राजा मयूरवर्माने भगा दिया जिसने पहले पहल इस निलेमें ब्राह्मणोंको बसाया (Wlo introduced Brahmans first in district) इस कादम्ब देशके राजा मलखेड़के राष्ट्रकूटोंके तथा कल्याणी ( निज़ाम ) के पश्चिमीय चालुक्योंके आधीन राज्य करते रहे । १२वीं शताब्दी में दोर समुद्र या हले विंडके होयसाल बल्लालोंने अधिकार किया। १४ वीं शताब्दीमें मुसलमानोंने अधिकार किया परन्तु विनयनगरके राजाओंने उन्हें हटा दिया । सन् १९६५ में तालीकोटके युद्ध में दक्षिणके मुसलमानोंने मिलकर अंतिम विजयनगर राजाको हटा दिया तब जो स्थानीय जैन शासक थे वे स्वतंत्र होगए परन्तु सत्रहवीं शताब्दीके शुरू में इन सबको लिंगायत राजा इक्केरीके वेकंतप्पा नायकने दबा दिया । यह इंकेरी शिमोगा जिलेमें एक ग्राम है। फिर १५० वर्षांतक इक्केरीके राजाओंकी राज्यधानी