Book Title: Madras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Author(s): Mulchand Kishandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia
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मदरास व मैसूर प्रान्त। [१२१ वेदनूर पर रही जो मैसूर राज्यमें एक नगर है । तब भी बहुतसे प्राचीन जैन और ब्राह्मण राजाओंने अपनी स्थानीय स्वतंत्रता बनाए रक्खी । सन् १७३७ से इंग्रेजोंने आना शुरू किया।
इस तुलुवा देशके राजाओंका धर्म जैनधर्म था तथा इस जैनधर्मका प्रभाव उस समय ब्राह्मणों के प्रभावसे रुकना शुरू हुआ जब राजा विष्णुवईन होयसाल वल्लाल जैनधर्मसे विष्णुधर्मी हुआ। जब वल्लाल वंशके राजाओंने अपना राज्य देवगिरिके यादवोंको दिया तब स्थानीय जैन राजा भैरसूओडियर स्वतंत्र हो गए और ऐसा शासन जमाया के ब्राह्मणोंको विरुद्ध मालूम होने लगा तब सन् १३३६ में इन जैन धर्मी भूतारपिओडियर रानाओंको विजयनगर राज्यकी आधीनता स्वीकार करनी पड़ी। वारकुर नगरको खाली करदेना पड़ा, वहां विनयनगर राज्य द्वारा नियत गवर्नर रहने लगा। दूसरा गवर्नर मंगलोरमें रहता था। शेष देशमें जैन राना विजयनगरके आधीन राज्य करते थे उनमेंसे ब्राह्मण, वल्लाल और हेगड़े बहुत प्रसिद्ध जैन राना थे जिनका सम्बन्ध प्राचीन हूमस वंशसे था । वे जैन राना इन भांति प्रसिद्ध हुए। (१) कारकल के भैरसू ओडियार, (२) मूविद्रीके चौटर, (३) नन्दावारके बंगर, (४) अल्दनगड़ीके अल्दर, वैलनगड़ीके भुतार, (५) मुल्कीके सावनतूर ! ___सत्रहवी शताब्दीमें विजयनगरके आधीन लिंगायत इक्केरी राजाने भैरसूओडियर वंशको दबा दिया जो वारकुरमें राज्य करतेथे जिन्होंने उत्तरभागके जैनराजाओंका प्रभाव समाप्त करडाला तब इस इक्केरीने दक्षिणभागके जैन राजाओंपर आक्रमण किया परन्तु अधिक बल न कम कर सका |उन जैन राजाओंने इसका आधीनपना स्वी