Book Title: Madras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Author(s): Mulchand Kishandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia
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मदरास व मैसूर प्रान्त । [ ११५ हैं। यह उत्सव शिवमंदिरों के महोत्सव के छठे दिन किया जाता है । एक मनुष्यका मस्तक एक कीलपर लगाकर गाजेबाजे के साथ निकाला जाना है तथा इस उत्सवमें किस तरह जैनियोंका नाश किया गया ऐसे तमाशे दिखाए जाते हैं ।
सं० नोट- वास्तव में आजकलके जैनियोंको चाहिये कि इस उत्सवको बंद करावें । यह जैनियों के दिलों को दुखाने वाले उत्सव हैं ।
यहां पहले जैनियों का बहुत प्रभाव फैला हुआ था तथा बौद्ध लोग भी थे, यह बात पाषाणके स्मारकोंसे प्रगट है जो (१) कुलुगुमलई (२) मेरुलाई (३) वीर सिखामणि (४) कुलतूर (५) मुरुम्बन (६) मंदीकुरुम् (७) पुदुक्कोत्ताई में हैं । पुदुक्कोचाई अर्थात् पंच पांडव पुदुको ताई यहां पाषाणके आपन हैं जो एक गुफामें खुदे हुए हैं तथा मरुगालतलाई में एक ब्राह्मीमें शिल्पलेख है । यहां जैनियों के स्मारक हैं ।
यहांके मुख्य स्थान ।
(१) आदिचनल्लूर - ता० श्री वैकुंठम् - यहांसे ३ मीळ पश्चिम । ताम्रपणी नदीकी दाहनी तरफ व पालमको हसे १५ मील । यहां १० फुट चौड़ी व ६ फुट गहरी खुदाई करने से हड्डी व मस्तक मिले हैं व १२०० वस्तुएं मिली हैं- जैसे चाकू, मिट्टोंके वर्तन, पुराने पांड्य राजाके सिक्के | ये सब मदरास म्यूजियम में हैं । पर्वतपर जैन मूर्ति है ।
(२) कलुगू मलई - ता० कोयलपट्टी | कोयलपट्टी और शंकर नैनारके मध्य में लोकलफंड रोडसे २४ मील । यहां ३०० फुट उंची बड़ी चट्टान है जिसपर प्रसिद्ध खुदे मंदिर हैं जिनमें बहुत मूर्तिय बैठी हुई हैं। थोड़ा ऊपर जाकर चट्टानपर बहुतसी जैन तीर्थक