Book Title: Madras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Author(s): Mulchand Kishandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia
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प्राचीन जैन स्मारकाः । राजा थे। चीरावंशी रानाओंकी राज्यधानी केरल या मलवार या वाननी थी जिसका वर्तमान नाम चेरूमान पेरुमाल कोहलूर है जो कोचीनमें तिरुवंनी कुलम्के पास है। एलिन और राजराजकी उपाधि आदिगैनम् या आदिगैमान थो अर्थात आदिगईके स्वामी। इसी आदिगइको वर्तमानमें तिरुवादी कहते हैं। तीसरा राजा तकतामें राज्य करता था। वर्तमानमें तकताका नाम धर्मपुरी है जो सालेम निलेमें है । एलिनके वंशमें राजराज था उसका पुत्र विदुगद व गिनपेरूमल था-ये सब जैनधर्मके माननेवाले थे।
(४) सिंगवरम्-ता० टिंडीवनम्-जिंजीसे उत्तर २ मील । सिरुकदम्बूर सरोवरपर जो छोटीमी चट्टान है उसपर प्रसिद्ध जैन स्मारक हैं। एक बैटे आसन मूर्ति ४॥ फुट ऊंची एक बड़े पाषाणपर खुदी है। दूसरी बड़ी चट्टानपर एक कायोत्सर्ग नग्न मूर्ति है व २४ जैन तीर्थंकरोंकी मूर्तियां अंकित हैं। यहां दो शिलालेख हैं जिनमें दो जैनाचार्योंके समाधिमरण करनेका वर्णन है। एक मुनिने ३० दिनका उपचास व दूसरेने ५७ दिनका उपवास करके समाधिमरण किया था। ___(५) सित्तामृर-(मेल)-टिंडीवनम्से उत्तर पश्चिम १० मील। यह जैनियोंका केन्द्र है । भट्टारकनी महाराज रहते हैं । यहां उनका सुन्दर मठ है व प्रसिद्ध मंदिर हैं । बहुत ही जानने योग्य वस्तु बड़े मंदिरमें तिर्मुत्ती या पाषाणका मंडप है जहां रथ विहारके पीछे अभिषेकके लिये प्रतिमाको विराजमान करते हैं । यह सन् १८६० में जिंजीके वेंकट रामन मंदिरसे श्री बलि इस नामके नैन डिप्टी कलेक्टर द्वारा लाया गया था। इसमें बहुत सुन्दर