Book Title: Madras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Author(s): Mulchand Kishandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia
View full book text
________________
१०० ]
प्राचीन जैन स्मारक ।
मकान व पुस्तकालय देखने योग्य है । यहां एक बहुत बड़ा शिव मंदिर है जिसको बृहत् ईश्वर मंदिर कहते हैं। यहां जो बैल बना है उसकी कारीगरी देखने योग्य है । चारों तरफ १०८ शिव मंदिर और हैं। बड़े मंदिरके तीन ओर शिलालेख अंकित हैं। चारों तरफ मंदिरों में अनेक चित्र बने हैं। दो चित्र जैनियों को कष्ट दिये जानेके सम्बन्ध हैं । एक चित्रमें पांड्य राजा शयन कर रहा है । एक ओर ब्राह्मण वैद्य हैं, दूसरी ओर जैन वैद्य हैं । कथा यह है कि यह राजा जैनी था । बीमार हुआ तब जैन वैद्योंसे अच्छा न हुआ । ब्राह्मण वैद्योंने अच्छा कर दिया। उन ब्राह्मणोंने जैनधर्मसे इतना द्वेष राजाके दिल में भर दिया कि राजाने जैन मत छोड़कर शिवमत धारण कर लिया और आज्ञा दी कि जो जैनी शिवमती न हो उसको शूली पर चढ़ाया जावे तब अपने धर्मपर प्राण देनेवाले अनेक जैनी शूलीपर चढ़ गए, नीचे से ऊपर तक लोहेकी सलाई देकर बड़ी निर्दयता से मारे गए। यह चित्र भी दिया हुआ है ।
नोट- शिवमतधारी ब्राह्मणोंने कैसा अत्याचार जैनियोंके साथ किया था, इसका चित्र यहां प्रत्यक्ष प्रकट है ।
मदराम एपिग्राफी दफ्तर में इस जिलेके जैन चित्रादि नीचे प्रमाण हैं
(१) नं० सी १०६ - तिरुवेडंडालीमें शिवमंदिरके दूसरे द्वारपर एक जैन मूर्तिका चित्र ।
(२) नं० सी ५७५ (१९२०) में एक चट्टान में खुदा मंदिर है उसकी जेन मूर्तिका फोटो |
(३) नं० सी ५७६ (१९२०) - वहीं दूसरी जैनमूर्ति |