Book Title: Madras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Author(s): Mulchand Kishandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia
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मदरास व मैसूर प्रान्त । चित्रादि नीचे प्रकार हैं--- नं० सी १९-सीत्तामूरके जैन मंदिरका नकशा ।
(१४) सिरुकदम्बूर-यहां १२ जैन साधुओंके चित्र चट्टानपर खुदे हैं। उनका चित्र नं० सी १०७ है। (सन् १९२४) नं० ८२० फोटो तिरुवादीके जैन मंदिरकी एक मूर्तिका । नं० सी ११ जिंजीके किले के पास २४ तीर्थकरों-उनका फोटो।
(१६) तंजोर जिला यहां ३७१० वर्मल स्थान है। चौहद्दी इस भांति हैउत्तरमें त्रिचिनापली और दक्षिण अर्काट, पश्चिममें पुडकोट्टईका राज्य और त्रिपनापली, दक्षिणमें मदुरा ।
इतिहास-तंबोर गनटियर (मन् १९०६) में लिखा है कि चोलबंशका अस्तित्त्व मन ई में पूर्व २६० वर्षतक मिलता है। चोलों का राज्य यूनानके भूगोलनोंको मालूम था। इनका वर्णन रोलिमी (: 'to!enly) ने सन् १२० ई० में व पेरिप्लप मारिस एवरेने २४६ सन् ई० में किया था । वे कहते हैं कि इनकी राज्यधानी उइरयर पर थी जो अब त्रिचिनापली शहरके बाहरका स्थान है । चोलोंने सीलोनपर २४७ सन् ई० से पहले चढ़ाई की थी। ताम ल काव्योंमें चोल राजाओंका वर्णन है । . सबसे प्राचीन प्रसिद्ध राना कळलचोल हुआ है जो सन् ई० ५० और ९५के मध्यमें था। उसका पुत्र नलन्कल्ली था जो सन् १०२तक राज्य करता रहा। उसका पुत्र किल्लिवाहन था, तब उसके