Book Title: Madras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Author(s): Mulchand Kishandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia
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VENNA
मदरास व मैसूर प्रान्त। [७१ लम्बे लेख हैं । इनमेंसे एकमें ६ मूर्तिये हैं। तीसरी गुफा उत्तरकी तरफ सबसे बड़ी है जिसमें ६ या ७ खंभोंकी दूनी कतार है, पीछे वेदियां हैं। सरोवरके नीचे समाधिस्थान (Kistveens) है । एक बड़ी चट्टानपर तामील और ग्रन्थ अक्षरोंपर लेख है जिससे प्रगट है कि श्री राज वीर महाराज रघुवीरने शाका १५०५में भूमि दान दी। ( See Malra's Journal of literature and science 1839').
तालुका अरनी जागीर। यहां जैन १६३९ हैं। चेनर में अधिक जैनी हैं। यहां जैन स्त्रियें खजूरके तागोंसे मोटी चटाईयां वुनती हैं।
(१) पिंडी-अरनीसे उत्तर पूर्व २ मील। यहां बहुत ही प्राचीन जैन मंदिर है। यहांकी कुछ मूर्तियें अरनीमें भेजी गई हैं।
(६) अरनीनगर-यहां दि० जैनियोंके ७० घर हैं । मुख्य धनदेव नैनार, वसुपाल नैनार, चक्रवर्ती नैनार हैं। रामनाथ नैनार सब इन्सपेक्टर पुलिस हैं । एक दि० जैन मंदिर कोट व मानस्तंभ सहित है। हम यहांसी० एस० मल्लिनाथ नीके साथ ता०२० मार्च २६को आए थे। यहां पुस्तकालय है। लोग धर्मप्रेमी हैं। यहां पुन्नई उपाध्याय संगीतकलामें निपुण हैं।
ता० चन्द्रगिरि । (७) चंद्रगिरिनगर-स्वर्णमुखी नदीके दाहने तटपर । यहां ऐतिहासिक सामग्री हैं-यहांके किलेको सन् १०००में हम्मदी नरसिंह जादव रायलने बनाया जो कार्वेट नगरके नरंजन वनम्में राज्य करता था । यहां ध्वंश मंदिरों में प्राचीन कारीगरी है।
(८) तिरूमल-(पवित्र पर्वत) यह हिन्दुओंकातीर्थ है। बहुतसे मंदिर हैं।