Book Title: Madras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Author(s): Mulchand Kishandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia
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१४] प्राचीन जैन स्मारक । १८०मील है। मदरास हातेमें सबसे बड़ा जिला है तथा मारतवर्ष के बड़े जिलोंमें एक है । यह १७२२२ वर्गमील है।
चौहदी-पूर्वमें बंगालखाड़ी, उत्तरमें गंजम जिला व बंगालके कुछ देशी राज्य हैं। पश्चिममें मध्यप्रदेश बदक्षिणमें गोदावरी जिला है।
इतिहास-यह जिला भी कलिंग राज्यमें गर्भित था। अशोक राजाने इसको भी विजय किया था। मौर्योंके पीछे बैंगीके अंध्र राजाओंने राज्य किया था । अंधोंके पीछे पल्लवोंने सन् २२० ई० तक राज्य किया फिर यह प्रदेश कलिंगके प्राचीन गंग राजाओंके हाथमें आगया । वेंगीके पूर्वीय चालुक्योंने पल्लवोंको सातवीं शताब्दीके प्रारम्भमें भगा दिया तब यहां कई सौ वर्षों तक चालुक्य और गंग दोनों विभाजित प्रदेशोंपर राज्य करते रहे। १०वीं शताब्दीके अंतमें तंजोरके चोलोंने दोनों राज्योंको विजय किया तब अनुमान १०० वर्ष तक यहां चोलोंका अधिकार रहा, तब कलिंगके गंगवंशी राजा जो चोलोंके अधिकारमें यहां शासन करते थे । १२वीं शताब्दीमें उन्होंने स्वतंत्र होकर सर्व विजगापटमको ले लिया। १५वीं शताब्दीमें उड़ीसाके गजपति राजाओंने अधिकार जमाया। पीछे मुसल्मान अधिकारी हुए।
यहां पहले जैन बहुत थे । लिंगायतोंने जैनोंको अपनेमें मिला लिया । अब यहां केवल ४९ जैन हैं। जैन प्राचीन स्थान यहां रामतीर्थक नंदानों में हैं।
यहांके कुछ प्राचीन स्थान । (१) जयती-ता० गमपतिनगर-नगरसे उत्तर पश्चिम ८ मील। यहां दो प्राचीन मंदिर हैं। एकमें एक कमरा १२ फुट वर्ग है