Book Title: Madras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Author(s): Mulchand Kishandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia
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मदरास व मैसूर प्रान्त ।
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(४) नं० सी० ५ - एक पाषाण स्तम्भ बेजवादा जिसके चारों ओर मूर्तियां हैं ।
कृष्णा जिलेके गजेटियर पृष्ठ २६८ में है ।
" यद्यपि इस समय यहां कोई जैन या बौद्ध नहीं हैं परन्तु प्राचीनकाल में इनके अस्तित्वके बहुत चिह्न मिलते हैं । हिन्दुओंमें कई रोतियें ऐसी प्रचलित हैं जिनका सम्बन्ध जैन तत्त्वोंसे है । वेदोंमें सूर्य, वायु व अग्निकी पूजा है, उनमें मूर्तिपूजा नहीं है । जब ब्राह्मण उत्तरसे यहां आए तब उन्होंने बौद्ध और जैनोंको यहांसे भगा दिया । ब्राह्मणधर्मकी सादगी जाती रही। ब्राह्मण पुराण ८ वीं व ९ वीं शताब्दी में लिखे गए थे ।
(५) नेल्लोर जिला ।
यहां ८७६१ वर्गमील स्थान है ।
चौहद्दी यह है - पूर्व में बंगाल खाड़ी, दक्षिण में चिंगलपेट और उत्तर अर्काट, पश्चिममें पूर्वीयघाट, उत्तर में गुन्त ।
इतिहास - तामील शिलालेख कहते हैं कि १२ वीं शताब्दी तुक यह चोल राज्यका भाग रहा है तब उनका पतन हुआ और १३ वीं शताब्दी के मध्य में यह जिला मदुरा के पांड्य राजाओंके अधिकार में गया फिर तेलुगु चोड़ राजाओंके हाथमें आया जो वरंगलके काकतियोंके नीचे राज्य करते थे । १४ वीं शताब्दी में विजयनगर के हिन्दू राजाओंने कबजा किया। इस वंश के सबसे बड़े राजा कृष्णरायने उदयगिरिका किला सन् १९१२ में लेलिया । सन् १९६८ में मुसल्मान आगए ।