Book Title: Madras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Author(s): Mulchand Kishandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia
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मदरास व मैमूर प्रान्त। [५१ नोलम्ब राजाओंने राज्य किया जो राष्ट्रकूटोंके आधीन थे। ये राष्ट्रकूट राजा बेल्लरीमें सन् ७५० से ९५० तक बड़े प्रभावशाली थे। सन् ९७३में गंगवंशी राजा मारसिंहने इनको दबाया जिनकी राज्यधानी मैसूरमें कावेरी नदी तटपर तलकाड पर थी। ९ वीं शताब्दीमें पश्चिमीय चालुक्योंने और होयसालोंने, १२वीमें यादवोंने फिर मुसल्मानोंने कबजा किया।
पुरातत्त्व-यहां बहुत प्रसिद्ध पेन्नर नदीके तटपर तावपतूपर किले और मंदिर हैं। इन मंदिरोंमें आश्चर्यकारी कारीगरी है । लेपाक्षी और हेमवतीपर जो मंदिर हैं वे शिल्पके लिये प्रसिद्ध हैं। यहां बहुत पुराने शिलालेख मिले हैं जिनमें पल्लवोंकी प्राचीन शाखाका कथन है। जैन-यहां ३०० जैन होंगे जिनमें दो तिहाई मदकसीरपर है।
प्रसिद्ध स्थान । (१) गृटी-ता० गूटी-रेलवे टे० से दक्षिण २ मील । चट्टानके नीचे छोटे मंदिरके भीतरका भाग जैन ढंगका है। जो पत्थर. ऊपर जानेके मार्गपर काममें लाए गए हैं उनमें अधिकोंमें जैन चित्रकारी अंकित है।
(२) कोनकोंडला-ता. गंटकल-यहांसे दक्षिण पश्चिम ५ मील । यह झलकता है कि किसी समय यह स्थान जैनियों केन्द्र था। यहां जो चिह्न मिलते हैं उनसे प्रगट है कि यहां पूर्व में जैनमत फैला हुआ था । आदि चेनकेश्वर मंदिरसे थोड़ी दूर वस्तीके मध्य एक पाषाण सीधा जमीनपर पड़ा है जिसपर लेखोंके मन्द २ चिह्न हैं-इस लेखके उपर एक जैन तीर्थरकी मूर्ति