Book Title: Madras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Author(s): Mulchand Kishandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia
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मदरास व मैसूर प्रान्त। [२३ (४) धरणीकोटा ताः सत्तेनपल्ली-यहीं अमरावती नगर व धरणीकोटा ग्राम है। यह प्राचीन नगर धनकचक है। यह महाराज मुकंति या त्रिलोचनपल्लवकी राज्यधानी थी। यहां बहुतसे सिके पहली शताब्दीके मिले हैं । प्राचीन नगरकी बडी भीत है। पुरानी ईंटे मिलती हैं, यह गुन्तूरसे २० मील है, किलेमें दो पुराने लेख हैं। जैनोंके समयमें यह किला मुकतेश्वर राजाने बनाया था। इसका नाम मुकतीराजा प्रसिद्ध है। शायद यह दूसरी तीसरी शताब्दीका पल्लव राजा हो । यहां यह कहावत प्रसिद्ध है कि यहां जैन
और ब्राह्मणोंमें बहुत बड़ा शास्त्रार्थ हुआ था तब ब्राह्मणोंने मंत्रबलसे जैनियोंको हरा दिया। उस समय जैनियोंका नाश किया गया। धरणीकोटा और अमरावतीके मध्यमें नदीके तटपर एक छोटी इमारत है जो जैनमंदिरसा मालूम देता है । यहां कई लेख स्थानीय जैन राजाओंके वंशके मिले हैं उनमेंसे एक स्तंभ है जो अमेरश्वरम् मंदिरके गोपुरम्के पश्चिम है। यह स्तंभ कोटकेत जैन राजाका सन् ११८२का है। यहां गोपुरमके पूर्व कई जैनमूर्तियां विराजित हैं जिनको हिंदुओंने मंदिरके बाहर रख दिया है। . (५) पनिदेम-सत्तनपल्लीसे उत्तरपूर्व एक ग्राम । यहां तीन दानके लेख मिले हैं । एक ग्रामके पूर्व एक पाषाण स्तंभपर है। सन् १२३१ दातार कोटकेत राजा (जैनी) । ग्रामके पश्चिम एक टीला है जिसको दीदाल दीन पालेम कहते हैं।
(६) पट्टमक्केम-ग्रामके पूर्व एक स्तंभपर दो लेख हैं । एक सन् ११६० कोट गंधय राजाकी महारानी भूतमादेवीका दान । दुसरा सन् ११७५का है नोट-यह जैन रानी मालूम होती है।