Book Title: Madras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Author(s): Mulchand Kishandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia
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मदरास व मैसूर प्रान्त ।
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जिसमें शिखर १६ फुटका ऊंचा है। ये दोनों मंदिर बिना चूने के - बनाए गए थे। यहां कई असाधारण मूर्तियां हैं। ग्रामवाले कहते हैं कि ये जैनोंके मंदिर हैं परन्तु खुदाई देखनेसे शंका होती है । लोग कहते हैं कि यहां जैनोंकी बस्ती थी ।
कुछ
(२) नंदपुरम् - ता० पट्टंगी यहांसे पश्चिम १५ मील । - यहांसे सेम्बलीमुड स्थानको जाते हुए ३ मील पर एक बहुत ही प्राचीन और आश्चर्यकारी स्मारक है । एक छोटा मंदिर है जिसमें तीन नग्न पाषाणकी पद्मासन मूर्तियां हैं जो कि जैनोंकी विदित होती हैं।
(३) रामतीर्थम् - ता० बिजगापटम - यहांसे उत्तरपूर्व ८ मील । इस ग्रामके उत्तर दो पहाड़ियाँ हैं जिनमें बड़ी २ चट्टानें हैं, इनमें से पासवालीको बोड़ीकोंडा या बड़ी पहाड़ी कहते हैं । इस पहाड़ी के पश्चिमीय भागके मस्तक पर एक ध्वंश ईंटोंका मंदिर है। जिसमें जैन तीर्थङ्करों की तीन मूर्तियां खड़ी हैं। ये १ ॥ फुटसे ३ फुट ऊँची हैं, इनका शिल्प बहुत स्वच्छ है । इस पहाड़ीके कुछ अधिक ऊपर जाकर एक बड़ी निकलती हुई चट्टान के नीचे एक जैन - मूर्ति है जो बहुत घिस गई है ।
उत्तरकी तरफ पहाड़ी पर जिन स्थानको "गुरुभक्त कुंड" कहते हैं तीन पाषाण हैं जिनपर वैसी ही मूर्तियां हैं । इन दोनों पहाड़ियों में से -दूसरी पहाड़ी दुरगीकोंडके पश्चिमीय भागपर एक बड़ी निकलती हुई चट्टान के नीचे बहुत घिसे हुए जैन स्मारक हैं जो पानी पड़ने से खराब हो गए हैं। चट्टानपर एक छोटी कायोत्सर्ग नग्न मूर्ति है । इसीके पास एक बिगड़ा हुआ लेख है जिसमें पूर्वीय चालुक्य राजाका वर्णन है जो शायद विमलादित्य है, जिसने सन् १०११ से १०२२