Book Title: Madras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Author(s): Mulchand Kishandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia
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मदरास व मैसूर प्रान्त। [१७ . सन् १९१०-११ में भी रामतीर्थका वर्णन है-विशेष यह है कि गुरुभक्तकुंडके पास ८४ फुट वर्ग एक बड़ा स्तूप है जो बौद्धोंका कहा जाता है । इसके पूर्व एक बड़ा पाषाण है जिसके नीचे स्वाभाविक गुफा है । इसके भीतर एक पाषण है जिसमें पद्मासन जैनभूर्ति है ( प्लेट नं० ४३ (२)) यह मूर्ति श्री पुष्पदंत भगवानकी है, मकरका चिह्न है । यह मूर्ति बौद्धस्तूपसे बहुत प्राचीन कालकी है। प्लेट नं. ४३ में नं. ३ से ८ तक जैनमूर्तियां इस भांति हैं-नं० ३ अर्द्ध पद्मासन अखंड, नं० ४ अई पदमासन, नं० ५ कायोत्सर्ग पग नहीं, नं० ६ कायोत्सर्ग, नं. ७ कायोत्सर्ग पग खडित, नं० ८ कायोत्सर्ग अखंड । यहां गुफाओंमें मूर्ति सहित मंदिर हैं।
(४) मुरुतुरी अनकवल्हीसे उत्तर ३ मील । ग्रामसे १मील जाकर दो पहाडियां हैं निनपर पापाणमें खुदे मंदिर हैं। यहां जैन मूर्तियां देखी जाती हैं।
() भामिदीवाड़ा-सर्वसिद्धि तालुकासे उत्तर पूर्व ५ मील । दो प्राचीन मंदिर जैनों द्वारा बने प्रसिद्ध हैं ।
(३) गोदावरी जिला। यह मदराम निलेका उत्तरीय पूर्वीय तट है । इसकी चौहद्दी इस प्रकार है
उत्तर और उत्तरपूर्व-विजगापटम, उत्तरमें मध्यप्रांत, पश्चिममें निनाम, दक्षिण पश्चिम कृष्णा जिला । यहां पूर्वीय घाटकी सबसे ऊँची चोटी पेजकोंड ४४७६ फुट ऊंची है ।