Book Title: Madras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Author(s): Mulchand Kishandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia
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मदरास व मैसूर प्रान्त।
जाननेयोग्य स्थान । (१) आर्यवत्तम् ग्राम तालुका कोकोनडा-इसको जैनपाद कहते हैं। यहां जैन स्मारक हैं। यहां बहुतसी बैठे आसन जैन मूर्तियां हैं । इनकी अब कोई पूजा नहीं करता है।
(२) तातिपकता नगरम्-राजावलुसे उत्तर ३ मील। इसकी एक गलीमें एक जैनमूर्ति गले तक गड़ी हुई है । मस्तक पुरुषाकार है । यहां वापिकाएं हैं जिनको जैनवापो कहते हैं।
(३) पिथापुरम्-प्राचीन पिष्ठपुरम्-बड़ा पुराना नगर है। कोकानडासे १० मील | अलाहाबादके शिलालेखके अनुसार चौथी शताब्दीमें यहां महेन्द्र राजा राज्य करता था । इस नगरका नाम ऐहोल (वीनापुर)के शिलालेखमें भी आया है। नगरकी मुख्यगलीमें एक तरफ तीन बड़ी बेठे आसन जैन मूर्तियां विराजित हैं जिनको लोग सन्यासी देवलु कहते हैं और पूजते हैं । एक मेला भी गर्मऋतुमें भरता है।
(४) द्राक्षारामन-ता० रामचंद्रपुरम्-यहांसे दक्षिण ४ मील । इसको दक्षिण काशी कहते हैं । यहां भीमेश्वरस्वामीका बड़ा मंदिर है। इसके उत्तर एक पाषाणमें बैटे आसन जैन तीर्थकरकी मूर्ति अंकित है । इसपर पुराना लेख है (नं० २७१ सन् १८९३ एपिग्राफी रिपोर्ट)। इस मूर्तिका फोटो सन् १९१९में पुरातत्त्व विभागने लिया था नं० ५१९ ।
(५) नेदुनूरु-ता० अमलापुरम् तथा (६) आत्रेयपुरम् वही तालुका-यहां जैन स्मारक हैं । बहुत बड़ी जैन मूर्तियां हैं। जैनियोंक बनाए २ बड़े कूप हैं।