Book Title: Kasaypahudam Part 11
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh
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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे
[ वेदगो ७ सव्वजी० केव० ? संखे भागो । अणुक्क० अणुभागुदी० संखेज्जा भागा । एवं जाव० । एवं जहण्णयं पि णेदव्वं ।
२८. परिमाणं दुविहं-जह० उक्क० । उक्कस्से पयदं । दुविहो णिद्देसो-ओघेण आदेसेण य । ओघेण मोह० उक्क० अणुभागुदी० केत्तिया ? असंखेज्जा' । अणुक्क० के० ? अणंता । एवं तिरिक्खा० । आदेसेण णेरइय० उक्क० अणुक्क० अणुभागुदी० केत्ति० १ असंखेज्जा। एवं सव्वणेर०-सव्वपंचिंदियतिरिक्ख-मणुसअपज्ज०-देवा भवणादि जाव. अवराजिदा त्ति । मणुसेसु मोह० उक्क० अणुभागुदी० केत्तिया ? संखेज्जा । अणुक्क० अणुभागुदी० केत्ति० ? असंखेज्जा । मणुसपज्ज०-मणुसिणीसव्वट्ठदेवा मोह० उक्क० अणुक्क० अणुभागुदी० केत्ति० संखेज्जा । एवं जाव० ।
$ २९. जहण्णए पयदं । दुविहो णिद्देसो--ओघेण आदेसेण य । ओघेण मोह: जह० अणुभागुदी० केत्ति ? संखेजा । अजह० के० १ अणंता । चदुगदीसु उक्कस्सभंगो। एवं जाव०।
३०. खेत्ताणु० दुविहं-जह० उक्क० । उक्क० पयदं । दुविहो णि०-ओघेण आदेसेण य । ओघेण उक्क० अणुभागुदी० केवडि खेत्ते ? लोगस्स असंखे० भागे ।
उदीरक जीव संख्यात बहुभाग प्रमाण हैं। इसी प्रकार अनाहारक मार्गणा तक जानना चाहिए । तथा इसी प्रकार जघन्य भी ले जाना चाहिए।
$ २८. परिमाण दो प्रकारका है-जघन्य और उत्कृष्ट । उत्कृष्टका प्रकरण है। निर्देश दो प्रकारका है-ओघ और आदेश । ओघसे मोहनीयके उत्कृष्ट अनुभागके उदीरक जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं। अनुत्कृष्ट अनुभागके उदीरक जीव कितने हैं ? अनन्त हैं इसी प्रकार तिर्यञ्चोंमें जानना चाहिए। आदेशसे नारकियोंमें उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट अनुभागके उदीरक जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं। इसी प्रकार सब नारकी, सब पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्च, मनुष्य अपर्याप्त, सामान्य देव तथा भवनवासियोंसे लेकर अपराजित विमान तकके देवोंमें जानना चाहिए। मनुष्योंमें मोहनीयके उत्कृष्ट अनुभागके उदीरक जीव कितने हैं ? संख्यात हैं। अनुत्कृष्ट अनुभागके उदीरक जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं । मनुष्य पर्याप्त, मनुष्यिनी और सर्वार्थसिद्धिके देवोंमें मोहनीयके उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट अनुभागके उदीरक जीव कितने हैं ? संख्यात हैं । इसी प्रकार अनाहारक मार्गणा तक जानना चाहिए।
२९. जघन्यका प्रकरण है। निर्देश दो प्रकारका है-ओघ और आदेश। ओघसे मोहनीयके जघन्य अनुभागके उदीरक जीव कितने हैं ? संख्यात हैं। अजघन्य अनुभागके उदीरक जीव कितने हैं ? अनन्त हैं। चारों गतियोंमें उत्कृष्टके समान भंग है। इसी प्रकार अनाहारक मार्गणा तक जानना चाहिए।
३०. क्षेत्रानुगम दो प्रकारका है-जघन्य और उत्कृष्ट । उत्कृष्टका प्रकरण है । निर्देश दो प्रकारका है-ओघ और आदेश । ओघसे उत्कृष्ट अनुभागके उदीरक जीवोंका कितना क्षेत्र है ? लोकके असंख्यातवें भाग प्रमाण क्षेत्र है। अनुत्कृष्ट अनुभागके उदीरक जीवोंका
१ ता० प्रती संखेजा इति पाठः ।