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[जवाहर-किरणावली
क्या देवालय को तोड़ना-झाड़ना नहीं कहलाएगा?
मित्रो ! परमात्मा से शान्ति चाहने के लिए दूसरे जीवों को कष्ट पहुँचाना. उनका घात करना कहाँ तक उचित है ? देवालय के पत्थर निकाल कर कोई आसपास दीवाल बनावे
और कहे कि हम देवालय की रक्षा करते हैं तो क्या यह रक्षा करना कहलाएगा ? इसी प्रकार शान्ति के लिए जीवों का घात करना क्या शान्ति प्राप्त करना है ? शांति तो उसी समय प्राप्त होगी जब ज्ञान--दीपक से उजेला करके आत्मा को वैर--विकार से रहित बताओगे। सर्वदेशीय शांति ही वास्तविक शांति है। शांतिनाथ भगवान् की प्रार्थना में वहा गया है
श्री शान्ति जिनेश्वर सायब सोलवा, जनमत शान्ति करी गिज देश में । मिरगी मार निवार हो सुभागी ॥ तन मन वचना शुध करि ध्यावता,
पुरे सगली हाम हो सुभागी ।।श्री०।। उन शांतिनाथ भगवान को पहिचानो, जिन्होंने माता के उदर में आते ही संसार में शांति का प्रसार कर दिया था। उस समय की शांति, सूर्योदय से पहले होने वाली उषा के समान थी।
उषा प्रातःकाल लालिमा फैलने और उजेला होने को कहते हैं । भगवान् शांतिनाथ का जन्मकाल शांतिप्रसार का उपाकाल था । इस उषाकाल के दर्शन कब और कैसे हुए, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com