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अध्यात्म विद्याके प्रमुख वेत्ता
• पंडित नाथूलाल शास्त्री, इन्दौर
देशके लब्धप्रतिष्ठ प्रकाण्ड विद्वान् सिद्धांताचार्य पं० फूलचन्द्रजी सिद्धांतशास्त्रीकी देश, समाज एवं साहित्यकी महान् सेवाओंके प्रति कृतज्ञता प्रकाशनार्थ उनका जितना भी अभिनन्दन किया जाये, थोड़ा है। पंडितजी अत्यंत सरल, उदार, निरभिमानी और सतत जागरूक मनीषी हैं । उन्होंने जैनधर्मके महान् ग्रन्थ धवला, जयधवला और महाधवला टीकाओंके हिन्दी अनुवाद एवं सम्पादनका अपूर्व कार्य कर जैन इतिहासमें अपनी उज्ज्वल कीर्ति अर्जित की है। जैन सिद्धांतके आप मर्मज्ञ एवं वर्तमान जैन समाजमें अग्रणी हैं। अपनी वयोवृद्ध एवं अस्वस्थ अवस्था में भी उनका ग्रन्थ सम्पादन कार्य निरन्तर चल रहा है । एक वर्ष पूर्व पंडितजी वाराणसीसे दि० जैन उदासीन आश्रम, इन्दौर में आ गये हैं । उनके दैनिक प्रवचनों का लाभ भी मुमुक्षु जनताको प्राप्त हो रहा है I पंडितजीने देशके स्वतंत्रता आन्दोलनमें भाग लेकर आज तक खादीके मोटे वस्त्र पहिनना चालू रखा है। सादा जीवन, उच्च विचारके वे आदर्श हैं। पंडितजी जैनधर्मके कर्म सिद्धांतके अधिकारी विद्वान् माने जाते । उन्होंने जैन अध्यात्म विद्या गूढ़ रहस्यको अपनी लेखनी द्वारा सुबोध शैलीमें जैन तत्त्व मीमांसा आदि ग्रन्थों में विशद रूपेण प्रकट किया है ।
इस अभिनन्दनके प्रसंग पर मैं आदरणीय पंडितजीको दीर्घायु कामना करते हुए आशा करता हूँ उनके अनुभवका लाभ समाजको प्राप्त होता रहेगा ।
आगम साहित्यके निष्काम सेवक
• पं० कमलकुमार जैन, व्याकरणतीर्थं, कलकत्ता
प्रथम खण्ड : १७
शिरसा सदानमनीय परमादरणीय विद्वद्वर्य सिद्धान्ताचार्य पं० फूलचन्द्रजी सिद्धान्तशास्त्री समाजके लब्धप्रतिष्ठ विद्वानों में सर्वोपरि विद्वान् हैं और हैं आगमसाहित्यके निष्काम सेवक । सन् १९२७ में जब वे श्री स्याद्वादमहाविद्यालय काशीमें प्रधानाध्यापक पदको सुशोभित कर रहे थे। तब पूज्य प्रातः स्मरणीय गुरुवर्य वर्णीजी श्री गणेशप्रसादजी महाराज जो मुझे काशीमें श्री स्याद्वाद महाविद्यालय में ले गये थे । उनके माध्यम से ही मेरा सर्वप्रथम परिचय सिद्धान्ताचार्यजीसे हुआ था । ये अत्यन्त सरल परिणामी, निरभिमानी परन्तु स्वाभिमानकी साक्षात् मूर्ति हैं । अभीक्ष्ण्य ज्ञानोपयोगी महान् विद्वान् हैं ।
आपका जीवन आध्यात्मिकतासे ओतप्रोत है । अन्तमें हम आपके शतायु होनेकी हार्दिक मंगल कामना करते हैं ।
जैन समाज उपकृत है
• श्री अक्षयकुमार जैन, दिल्ली
यह जानकर प्रसन्नता हुई कि सिद्धान्ताचार्य पं० फूलचन्द्रजी शास्त्रीकी साहित्यिक एवं सामाजिक सेवाओंके उपलक्ष में अभिनन्दन ग्रन्थ भेंट किया जा रहा है। पण्डितजी से समस्त समाज भली-भाँति परिचित हैं । उसके साहित्य, दर्शन एवं धार्मिक कृतियोंसे समस्त जैन समाज उपकृत है ।
इस महान कार्यके लिए मेरी शुभकामनाएँ स्वीकार कीजिए ।
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