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तीर्थसूची
अंशुमती-(नदी) ऋ० ८१९६।१३-१५ (जिस पर अगस्त्यसर-वन० ८२।४४। यह ज्ञातव्य है कि अगस्त्य
कृष्ण नामक असुर रहता था)। बृहद्देवता (६३११०) तमिल भाषा के विख्यात लेखक तथा तमिल भाषा के के अनुसार यह कुरु देश में थी; रामा० २।५५।६ सबसे प्राचीन व्याकरण-ग्रन्थ 'तोल्काप्पियम्' के कर्ता (यमुना के निकट)।
हैं। देखिए जर्नल आव रॉयल एशियाटिक सोसाइटी, अक्रूर-(मथुरा के अन्तर्गत) वराह० १५५।४-५ (मथुरा जिल्द १९, पृ० ५५८-५५९ (नयी माला)। एवं वृन्दावन के बीच में एक तीर्थ)।
अगस्स्याश्रम-देखिए दे का ग्रन्थ (पृ० २) जहाँ ऐसे ८ अक्षय्यकरण वट-(प्रयाग में) कनिंघम कृत ऐं० जि० । स्थानों का उल्लेख है किन्तु कोई प्रमाण नहीं दिया
पृष्ठ ३८९। वन० ८७।११, पद्म० ६।२५।७-८ (ऐसा हुआ है; (१) (दुर्जया नदी पर) वन० ९६३१ कहा गया है कि कल्प के अन्त में विष्णु इसके पत्र पर (जहाँ वातापि राक्षस अगस्त्य द्वारा मारा गया था); सोते हैं)।
(२) वि० ध० सू० ८५।२९, पद्म० १११२१४, वन० अक्षय्यवट-(१) (गया में विष्णुपद से लगभग आधे १९।१९८ (पुष्कर के पास); (३) (प्रयाग के पास)
मील की दूरी पर) वन० ८४१८३, ८५।१४; वायु० वन० ८७।२०; (४) (गोकर्ण के पास)वन० ८८११८; १०५।४५, १०९।१६, ११११७९-८२ (ज
(५) (सुतीक्ष्णाश्रम से लगभग ५ योजन पर जनस्थान विश्व जलमग्न हो जाता है उस समय विष्णु शिशु एवं पंचवटी के पास) रामायण ३१२१३९-४२, रघुवंश के रूप में इसके अन्त भाग पर सोते रहते हैं)। अग्नि० १३०३६। नगर जिले में प्रवरा नदी के आगे अकोला ११५।७०, पम० ११३८।२; (२) (विन्ध्य की ओर ग्राम में कोई प्राचीन अगस्त्य-स्थल नहीं है; (६) गोदावरी के अन्तर्गत) ब्रह्म १६११६६-६७; (३) (पाण्ड्य देश में समुद्र के पास) आदि० २१६॥३, (नर्मदा पर) ब्रह्मवैवर्त० ३, अ० ३३, ३०-३२ । यहाँ ८८०१३, ११८१४, १३०६-यह पांच नारीतीर्थों में पुलस्त्य ने तप किया था।
एक है ; (७-८) रामा० ४१४१।१६ (मलय पर) एवं अक्षवाल-(कश्मीर के कुटहर नामक परगने की सीमा भागवत० १०७९।१६७।
पर स्थित सेतु के पश्चिमी भाग का आधुनिक अछबल अगस्त्येश्वर-(१) (नर्मदा के अन्तर्गत) मत्स्य. नामक एक विशाल प्राम) राजतरंगिणी ११३३८, १९११५; (२) (वाराणसी में लिंग) लिंग० (तीर्थस्टीन का स्मृतिग्रन्थ (पृ० १८०)। इसमें पांच झरने कल्पतरु, पृ० ११६)। हैं। नीलमतपुराण में 'अक्षिपाल' नाम आया है। अग्निकुण्ड-(सरस्वती पर) वाम० ५११५२, वराह. अगस्त्यकुण्ड-- (वाराणसी में)।
(ती० कल्प०, पृ० २१५)। अगस्त्यतीर्थ-(पाण्ड्य देश में) वन० ८८११३॥ अग्नितीर्थ-(१) (यमुना के दक्षिणी तट पर) मत्स्य० अगस्त्यपद-(गया के अन्तर्गत) अग्नि० ११६॥३, १०८।२७, पम० ११४५।२७; (२) (वाराणसी के वायु० ११११५३।
अन्तर्गत) कूर्म० ११३५।७, पन० ११३७१७; (३) अगस्त्यवट-आदि० २१५।२।
(गोदावरी के अन्तर्गत) ब्रह्म० ९८५१; (४) (सर
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