Book Title: Dharmshastra ka Itihas Part 3
Author(s): Pandurang V Kane
Publisher: Hindi Bhavan Lakhnou

View full book text
Previous | Next

Page 628
________________ धर्मशास्त्रीय प्रन्यसूची १६२१ भावप्रयोग-नारायण भट्ट द्वारा । ले० के प्रयोगरत्न का माध्यन्दिनीय, ढोण्ढू द्वारा। दे० बी० बी० आर० एक अंश। ए. एस्. (पृ० २३६, सं० २३६) । कर्क, कल्पतरु, भावप्रयोगचिन्तामणि-अनूपसिंह कृत। श्रीकण्ठ उपाध्याय, हलायुधीय, श्राद्धभाष्य की ओर . भावप्रयोगपति--(कात्यायनीया) काशीदीक्षित द्वारा। संकेत है। १२००-१५०० ई. के बीच। भारप्रशंसा। श्राद्धविधिसंक्षेप। भावजाह्मण। श्रावविभक्ति-नो० (जिल्द १०, पृ० ३४७) । भावभास्करप्रयोगपति । श्राद्धविवेक--प्राणकृष्ण के पुत्र ढोण्डूमिश्र द्वारा। पीटर्सन भाबमञ्जरी-नि० सि० एवं रुद्रधर के शुद्धिविवेक में के दूसरे प्रतिवेदन (रिपोर्ट, पृ० १८८) में देखिए। व०। श्रावविवेक-लक्ष्मीधर के पुत्र रुद्रधर द्वारा। दे० प्रक० भावमञ्जरी-रत्नगिरि जिले के राजापुर तालुका में ९६। बनारस में मुद्रित । फगशी के निवासी बापूभट्ट केलकर द्वारा। शक सं० श्रावविवेक--शूलपाणि द्वारा। दे० प्रक० ९५। मधु१७३२ (१८१० ई०) में प्रणीत। आनन्दाश्रम प्रेस सूदन स्मृतिरत्न (महामहोपाध्याय) द्वारा कलकत्ता में में मुद्रित। मुद्रित। टी० टिप्पनी, अच्युतचक्रवर्ती द्वारा, दायभाडमञ्जरी-मुकुन्दलाल द्वारा। भागटीका में व०। टी० अर्थकीमुदी, गोविन्दानन्द भावमन्त्रव्याल्या-हलायुध के ब्राह्मणसर्वस्व से। अलवर द्वारा; दे० प्रक० १०१। टी. भावार्थदीप, जगदीश (३५६)। द्वारा। टी० श्रीकृष्ण द्वारा, बंगला लिपि में कलकत्ता भावमयल-नीलकण्ठ कृत। दे० प्रक० १०७। जे० में सन् १८८० ई० में मु०। टी० नीलकण्ठ द्वारा। टी० आर० घरपुरे द्वारा मु०। श्रीकर के पुत्र श्रीनाथ आचार्य चूड़ामणि द्वारा। भावमीमांसा--नन्दपण्डित द्वारा। नो० न्यू० (जिल्द १, पृ० ३८१-३८२); ऐसा आया भावरत्न-इन्द्रपति के शिष्य लक्ष्मीपति द्वारा। साम- है कि श्रीनाथ ने केवल अपने पिता की कृति का विस्तार वेदियों एव शुक्लयजुर्वेदिया के लिए। श्रीदत्त पर मात्र किया है। टी० श्राद्धादिविवेककौमुदी, महा- . आधुत। महोपाध्याय रामकृष्ण न्यायालंकार द्वारा (नो, भावरत्नमहोदधि-यज्ञदत्त के पुत्र विष्णुशर्मा द्वारा। जिल्द १०, पृ० ११९)। ले के श्राद्धाङ्गभास्कर में व० । धाद्धविवेकसंग्रह। भाररहल्य--स्मतिरत्नावलि में रामनाथ द्वारा व०। श्राद्धवृत्तिप्रकरण। भारवचनसंग्रह। श्राद्धव्यवस्था। भाववमनप्रायश्चित्त । भावव्यवस्थासंक्षेप-चिन्तामणिकृत । दे० शुद्धिव्यवस्थाभारवर्णन-हरिराम द्वारा। सक्षेप। भावबसिष्ठ-सं० को० में व०। यह वसिष्ठश्राद्धकल्प श्राद्वषोडशविधि-अलवर (सं० १५०८ एवं उद्धरण ३५७)। प्राविधि-(१) कोकिलोक्त; दे० इ० का. पाण्डु० श्राद्धसंकलन । (सं० २२३, १८७९-८०); स्कन्दपुराण, कात्यायन, श्रावसंकल्प-रघुनाथ के प्रयोगपारिजात से। आपस्तम्ब, सुमन्तु, शातातप, याज्ञवल्क्य का उल्लेख श्रावसंकल्पविधि । है; वृद्धिश्राद्ध, गणाधिपपूजा, मातृपूजा एवं अन्य श्राद्धसंग्रह-(१) स्मृतिचन्द्रिका में व०; १२०० ई. श्राद्धों का विवेचन है। (२) छन्दोग । (३) के पूर्व। (२) प्रयागभट्टात्मज कौण्डभट्ट के पुत्र Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652