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धर्मशास्त्रीय ग्रन्यसूची स्वस्तिवाचनपति--जोवराम द्वारा।
सनातन गोस्वामी द्वारा; वैष्णवतोषिणी में २० । हनुमत्प्रतिष्ठा।
दे० नो० (६, पृ० १९०-९३) जहाँ उनके कुल का हपशीर्षपञ्चरात्र--मूर्ति स्थापन एवं मन्दिर-निर्माण- वर्णन है।
सम्बन्धी एक वैष्णव ग्रन्थ । रघु०, नि० सि० एवं हरिभक्तिसार। हलायुध के पुराणसर्वस्व में वर्णित।
हरिभक्तिसुघोदय-इसकी टीका का उल्लेख सदाचारहरितालिकाव्रतनिर्णय।
चन्द्रिका में है। हरितोषण-वेदान्तवागीश भट्टाचार्य द्वारा। हरिवंशविलास-नन्दपण्डित द्वारा। आह्निक, कालहरिविनतिलक--वेदान्तदेशिक द्वारा। टीका (मद्रास निर्णय, दान, संस्कार पर कौतुकों में विभक्त। दे०
गवर्नमेण्ट पाण्डु० भाग ६,पृ० २३६८,सं० ३१५३); प्रक० १०५। इसके अनुसार लेखक वेदान्तदेशिक का काल हरिवासरनिर्णय-व्यङ्कटेश द्वारा (बड़ोदा, १, ८७९३)। स्मृतिच०, हेमाद्रि, कालादर्श एवं कालनिर्णय के हरिहरदीक्षितीय। पश्चात् था; टीका का कथन है कि इन ग्रन्थों के हरिहरपद्धति-हरिहर द्वारा। पारस्करगृह्यसूत्र वाले सिद्धान्त अशास्त्र एवं आसुर हैं।
___ उनके भाष्य में यही संलग्न है। हेमाद्रि, श्राद्धसौख्य हरिपूजापति-आनन्दतीर्थ भार्गव द्वारा। स्टीन (पृ० (टोडरानन्द कृत) एवं रघु० के उद्वाहतत्त्व तथा अन्य
___ तत्त्वों में व० । दे० प्रक० ८४॥ हरिभक्ति-रघु० द्वारा आह्निकतत्त्व एवं एकादशीतत्त्व हरिहरभाष्य-पारस्करगृह्य पर हरिहर द्वारा। में वणित।
हलायुधनिबन्ध-श्रीदत्त के आचारादर्श में व०। हरिभक्तिकल्पलता-विष्णुपुरी द्वारा। कृष्णभक्तिकल्प- हलायुधीय-आचारमयूख में व०। सम्भवतः यह हलावल्ली में व०।
युध का ब्राह्मणसर्वस्व ही है। हरिभक्तिकल्पलतिका-कृष्णसरस्वती द्वारा। १४ हरिलता-अनिरुद्ध द्वारा। दे० प्रक० ८२। टीका स्तवकों में विभक्त।
सन्दर्भसूतिका, अच्युतचक्रवर्ती द्वारा, जो हरिदास हरिभक्तिदीपिका-गणेश द्वारा। नो० (भाग ५, पृ० तकाचार्य के पुत्र थे। टीका विवरण, श्राद्धकल्पलता १८९-१९०)।
में नन्दपण्डित द्वारा व०। हरिभक्तिभास्कर--(सवैष्णवसारसर्वस्व) भीमानन्द के हारीतस्मृति-दे० प्रक० ११ एवं ५६ । टीका हेमाद्रि
पुत्र भुवनेश्वर द्वारा; १२ प्रकाशों में, संवत् १८८४ में द्वारा व०, दे० प्रक० ११ । टीका तकनलाल द्वारा। प्रणीत।
हारीतस्मृति-(बड़ोदा, ८१८५) वर्णों एवं आश्रमों के हरिभक्तिरसायन।
नित्य, नैमित्तिक कृत्यों, आ नारीधमा, नृपधर्म, हरिभक्तिरसायनसिन्धु।
जीव-परमेश्वरस्वरूप, मोक्षसाधन, ऊर्ध्वपुण्ड्र पर चार हरिभक्तिरहस्य।
अध्याय। व्यवहाराध्याय भी है। हरिभक्तिलता।
हिरण्यकामधेनुदान। हरिभक्तिविलास-प्रबोधानन्द के शिष्य गोपालभट्ट हिरण्यकेशालिक। द्वारा। चैतन्य ने इन्हें लिखने का आदेश दिया था। हिरण्यकेशी. (सत्याषाढ) गृह्यसूत्र-दो प्रश्नों में; दे० भगवद्भक्तिविलास। १५६२ ई. के लगभग . चार पटलों में विभक्त (डा० किस्ट द्वारा बिएना में लिखित। रघु० द्वारा व०।
सम्पादित, १८८९, एवं सैक्रेड बुक आव दि ईस्ट, भाग हरिभक्तिविलास-(लघु) रूपगोस्वामी द्वारा। टीका ३० में अनूदित) । टीका प्रयोगवैजयन्ती, महादेव
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