Book Title: Dharmshastra ka Itihas Part 3
Author(s): Pandurang V Kane
Publisher: Hindi Bhavan Lakhnou

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Page 639
________________ १५५२ धर्मशास्त्र का इतिहास सर्वदेवप्रतिष्ठाप्रयोग-माधवाचार्य द्वारा। नो० न्यू० सर्वोपयुक्कारिका-अज्ञात; श्राद्ध पर १४ श्लोक। टी० (भाग ३, पृ० २१९)। अज्ञात; पाण्डु• भण्डारकर संग्रह में; भट्टोणि के सर्वदेवप्रतिष्ठाविषि-रामचन्द्रदीक्षित के एक पुत्र द्वारा। आधार पर। सर्वधर्मप्रकाश नारायणभट्ट के पुत्र शंकरभट्ट द्वारा। सहगमनविषि-(या सतीविधान) गोविन्दराजकृत माना दे० धर्मप्रकाश। गया है। इ० ऑ० (पृ० ५७८, सं० ७७४); ६६ सर्वदेवमूर्तिप्रतिष्ठाविधि। श्लोकों में। सर्वधर्मप्रकाशिका-वल्लभकृत। रामभक्ति पर ४२६ सहगमनबाट। श्लोकों में ; विभिन्न मासों एवं तिथियों में, मदनोत्सव सहचारविषि-पति की चिता पर भस्म होती हुई सती (चैत्र द्वादशी), आषाढ शुक्ल द्वादशी पर क्षीराब्धि- के विषय के कृत्य । . शयनोत्सव, मुद्राधारणविधि, चातुर्मास्यव्रतविधि जसे सहचारविषि--(या सहगमनविधि) . का. पाण्ड. उत्सवों एवं कृत्यों पर। १० का० पाण्डु० ३३१ ।। सं. १८३ (१८८४-८६), जिसकी तिथि संवत् (१८८७-९१)। १६८६ है। सर्वपुराणसार-शंकरानन्द द्वारा। सहनचण्डीविषान-कमलाकर द्वारा। सर्वपुराणार्य संग्रह-वेंकटराय द्वाछु। सहस्रचण्डीविषि-अलवर (१५२८, उद्धरण ३६५)। सर्वपुराणार्थसंग्रह। सहस्रचण्डीशतचण्डीविषान। सर्वप्रायश्चित्तप्रयोग-अनन्तदेव द्वारा। सहस्रचण्डयादिविषि-रामकृष्ण के पुत्र कमलाकर द्वारा। सर्वप्रायश्चित्तप्रयोग-नारायणभट्ट कागलकर के पुत्र अपने ग्रन्थ निर्णयसिन्धु का उल्लेख किया है। नो० शेषभट्टात्मज बालशास्त्री या बालसूरि द्वारा। (९, पृ० २०३-२०४) । लगभग १६१२ ई०। तुलज के पुत्र तंजौरराज शरभ के अधीन लिखा गया। सहनभोजनविषि-स्टीन (पृ० १०७)। सर्वप्रायश्चित्तलक्षण। सहभोजनसूत्रव्याल्या-गम्भीरराय दीक्षित के पुत्र सर्वव्रतोद्यापन-अनन्तदेव द्वारा। भास्करराय द्वारा (अलवर, उद्धरण २८) । मौलिक सर्वव्रतोद्यापनप्रयोग। सूत्र बौधायन के हैं। सर्वशान्ति। सहानुमरणविवेक-रामचरण न्यायालंकारके पुत्र अनन्तसर्वशान्तिप्रयोग---हेमाद्रि का वर्णन है। बीकानेर (पृ० राम विद्यावागीश द्वारा। शुद्धितत्त्व, विवादभंगार्णव ४५९)। का उल्लेख है। लग० १८०० ई० (नो०, भाग ७ सर्वशास्त्रार्थनिर्णय-कमलाकर द्वारा। दे० बी० बी० पृ० २२३)। आर० ए० एस०, पृ० २३८ (सं० ७४४) ; पाण्डु० सहवय-हरि द्वारा; आचार पर। नो० (भाग ७, की तिथि शक १६३७; बीकानेर (पृ० ४५९)। पृ० २८१)। सर्वसंस्कारसंग्रह-नि० सि० में वर्णित। सांवत्सरिकबाद। सर्वसारसंग्रह-भट्ठोजि द्वारा। १६००-१६५० ई. के सांवत्सरिककोद्दिष्टवासप्रयोग---यजुर्वेद के अनुसार। बीच में। नो० (भाग २, पृ० ६६)। सर्वस्मृतिसंग्रह--सर्वक्रतु वाजपेययाजी द्वारा। सागर--बहुत-से ग्रन्थ इस नाम से हैं, यथा-अद्भुतसर्वाप्रयणकालनिर्णय । सागर, दानसागर, स्मृतिसागर। सद्भुतशान्ति। सागरधर्मामृत। सर्वारिष्टशान्ति। सागरसंहिता-हेमाद्रि द्वारा वर्णित (२, पृ० ८५२) । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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