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धर्मशास्त्रीय ग्रन्यसूची
संक्षिप्तहोमप्रकार -- रामभट्ट द्वारा । संक्षिप्ताहिकपद्धति-दुर्गादत्त के पुत्र चण्डीदास द्वारा । ( कश्मीर के रणवीरसिंह की इच्छा से लिखित ) । संक्षेपतिथिनिर्णयसार - हरिजित् के पुत्र गोकुल जित् द्वारा । सन् १६३३ ई० । संक्षेपपूजापद्धति - अलवर (सं० १५१३) ।
संक्षेपसिद्धि व्यवस्था |
संक्षेपाह्निकचन्द्रिका - दिवाकरभट्ट द्वारा दिवाकर की
आह्निकचन्द्रिका के समान ।
संख्यापरिमाणसंग्रह - केशवकवीन्द्र द्वारा । बनारस में लिखित । ले० तीरभुक्ति (आधुनिक तिरहुत) के राजा की परिषद् का मुख्य पण्डित था । स्मृतिनियमों के लिए तोल, संख्या एवं मात्राओं (यथादान की लम्बाई, ब्राह्मणों के यज्ञोपवीत के सूतों की संख्या) पर । नो० (जिल्द ५, पृ० १६१ - १६२) । संग्रह -- (स्मृतिसंग्रह ) - दे० प्रक० ५४ | संग्रहचिन्तामणि- से० प्रा० (सं० ६१५३) । संग्रहवेद्यनाथीय वैद्यनाथ द्वारा । संग्रामसाहीय- दे० विवेकदीपक । सच्चरितपरित्राण - वाघूल गोत्र के वीरराघव द्वारा । वैष्णवों के कर्तव्यों पर। स्मृतिरत्नाकर का उल्लेख हुआ है।
सच्चरितरक्षा -- शंखचक्र धारण, ऊर्ध्वपुण्ड्र धारण एवं भगवनिवेदितोपयोग ( ३ प्रकरणों में ) । सच्चरितरक्षा- रामानुजाचार्य द्वारा। टी० सच्चरित - सारदीपिका, ले० द्वारा ।
सच्चरितसुधानिधि - वीरराघव ( नैध्रुव ) द्वारा । ले ने नाथ, राममिश्र, यामुनमुनि, रामानुज, गराज, वेदान्तदेशिक, परांकुश, श्रीनिवास आदि विशिष्टाद्वैतवादी रुओं को प्रणाम किया है। सच्छ्राह्निक ।
सज्जनवल्लभा - जयराम द्वारा एक टी० । महादेव के मुहर्तदीपक में व० ।
सत्कर्मकल्पम ।
सत्कर्मचन्द्रिका ।
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पारस्करगृह्यसूत्र पर
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सत्कर्मचिन्तामणि । सत्कर्मदर्पण |
सत्क्रियाकल्पमंजरी - (मद्रास गवर्नमेण्ट पाण्ड०, जिल्द ५, ० २२१२; जिल्द ६, पृ० २३०८ ) । सत्क्रियासारदीपिका - गोपालभट्ट द्वारा ( वैष्णवों के लिए) । ले० ने हरिभक्तिविलास भी लिखा है। १५००-१५६५ ई० के लग० । भवदेव, अनिरुद्ध, भीम, गोविन्दानन्द एवं नारायण के नाम आते हैं। सत्यव्रतस्मृति-- जीमूत० के कालविवेक अपरार्क, स्मृतिच०, श्राद्धतत्त्व द्वारा व० सत्सम्प्रदायप्रदीपिका - ( या सम्प्रदायप्रदीप ) प्रमुख वैष्णव आचार्यों का विवरण । सत्सम्प्रदायप्रदीपिका -- गदाधर द्वारा ।
सत्स्मृतिसार - जानकीराम सार्वभौम द्वारा । तिथि, प्रायश्चित्त आदि पर । नो० न्यू० (जिल्द २, पृ० २१० ) ।
सदाचार ।
सदाचारक्रम - रामपति द्वारा ।
सदाचारक्रम --- वसिष्ठ द्वारा लिखित कहा गया है। सदाचारचन्द्रिका ड० का० पाण्डु० (सं० १०८;
१८६९-७०) संवत् १७८७ माघ ( अर्थात् फरबरी १७३१ ई०) में उतारी गयी । कृष्णभक्ति पर । रूपगोस्वामी, सनातनगोस्वामी, रामार्चनचन्द्रिका, हरिभक्तिविलास टीका, हरिभक्तिसुधोदय एवं इसकी टीका का उ० है ।
सदाचारचन्द्रोदय -- दे० आचारचन्द्रोदय (उप० माघवप्रकाश ) । सदाचारनिर्णय - अनन्तभट्ट द्वारा ।
सदाचारप्रकरण - शंकराचार्य द्वारा (योगियों के लिए) । सदाचाररहस्य - दाईभट्ट के पुत्र अनन्तभट्ट द्वारा; जयसिंह के पुत्र अमरेशात्मज संग्रामसिंह की इच्छा से बनारस में प्रणीत । लग० १७१५ ई० (दे० स्टीन, पृ० ३१७-३१८) ।
सदाचारविवरण -- शंकर द्वारा ।
सदाचारसंग्रह - गोपाल न्यायपंचानन द्वारा ।
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