Book Title: Dharmshastra ka Itihas Part 3
Author(s): Pandurang V Kane
Publisher: Hindi Bhavan Lakhnou

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Page 586
________________ धर्मशास्त्रीय प्रम्यसूची प्रायश्चिसप्रदीप रत्नखेट श्रीनिवासदीक्षित के पुत्र राजचुडामणि द्वारा | प्रायश्चित्तप्रदीप रामशर्मा द्वारा । प्रायश्चित्तप्रदीप वाहिनीपति द्वारा । प्रायश्चितप्रदीप भवनाथ के पुत्र शंकर मिश्र द्वारा । ये वर्धमान के गुरु थे । १५वीं शताब्दी के द्वितीय एवं तृतीय चरण में । प्रायश्चित्तप्रदीपिका-- आपदेव के पुत्र अनन्तदेव द्वारा ( यह प्रायश्चित्तशतद्वयी ही है) । श्रीतकृत्यों में प्रायश्वितों पर । प्रायश्चित्तप्रयोग अनन्तदीक्षित द्वारा । प्रायश्चित्तप्रयोगत्रयम्बक द्वारा। नो० (जिल्द १०, १६४), आश्वलायन पर आधारित । प्रायश्चित्तप्रयोग - दिवाकर द्वारा। दे० 'स्मार्तप्राय चित्तप्रयोग' | त्रिकाण्ड प्रायश्चित्तप्रयोग - बलशास्त्री कागलकर द्वारा । प्रायश्चित्तप्रयोगरत्नमाला - स्मृत्यर्थसार, मण्डन, प्रदीप, केशवोकार का ० है । प्रायश्चित्तमंजरी -- महादेव केलकर के पुत्र बापूभट्ट की। स्टीन ( पृ० ७६ ) ने विरचनकाल शक स० १७३६ लिखा है। Jain Education International १५७९ प्रायश्चित्तरत्नाकर -- रत्नाकर मिश्र द्वारा । प्रायश्चित्तरहस्य - दिनकर द्वारा । स्मृतिरत्नावली में उल्लिखित । प्रायश्चितवारिधि -- भवानन्द द्वारा । प्रायश्चित्तविधि - भास्कर द्वारा। प्रायश्चित्तविधि - मयूर अप्पयदीक्षित द्वारा। हेमाद्रि एवं माधव का उल्लेख है । प्रायश्चित्तविधि - वसिष्ठस्मृति से । प्रायश्चित्तविधि - शौनक कृत कही गयी है। प्रायश्चित्तनिर्णय - अनन्तदेव कृत । प्रायश्चित्तविनिर्णय-भट्टोजि द्वारा | प्रायश्चित्तविनिर्णय- यशोधर भट्ट द्वारा । प्रायश्चित्तविवेकशूलपाणि द्वारा दे० प्रक० ९५ । बड़ोदा (स० १०८४९, सं० १५०१, अर्थात् ९४४४४५ ई०), जीवानन्द द्वारा मुद्रित । टो० तत्त्वार्थकौमुदी, गणपति के पुत्र गोविन्दानन्द द्वारा । दे० प्रक० १०१ । जोवानन्द द्वारा प्रका० । टी० कौमुदी या टिप्पणी, रामकृष्ण द्वारा टी० निगूढप्रकाशिका नो० न्यू० (जिल्द २, पृ० ११४) प्रायश्चित्तविवेक - - श्रीनाथकृत । लग० १४७५-१५२५ ई। प्रायश्चितमनोहर -- कृष्णमिश्र के पुत्र एवं रामभद्र तथा प्रायश्चित्तविवेकीद्धांत -- मदनरत्न का एक अंश । दे० केशवमिश्र के शिष्य मुरारिमिश्र । प्रायश्चित्तमयूख- नीलकण्ठ कृत । दे० प्रक० १०७ । धरपुरे द्वारा प्रका० । प्रायश्चितमार्तण्ड मार्तण्डमिश्र कृत । मित्र, नो० (जिल्द ७, पृ० सं० २२५२, शक सं० १५४४ अर्थात् १६२२- २३ ई० ) । प्रायश्चित्तनुक्तावलो - महादेव के पुत्र दिवाकर द्वारा ( उनके धर्मशास्त्रसुधानिधि का अंश ) । लेखक के पुत्र वैद्यनाथ द्वारा अनुक्रमणी । प्रायश्चितमुक्तावली -- रामचन्द्र भट्ट द्वारा । प्रायश्चिरारत्न -- कमलाकर भट्ट द्वारा । शूद्रकमलाकर में व० । प्रायश्चिसरत्नमाला - रामचन्द्र दीक्षित द्वारा । १२६ प्रक० ९४। प्रायश्चित्तव्यवस्थासंक्षेप-- चिन्तामणि न्यायालंकार भट्टाचार्य द्वारा । नो० (जिल्द ४, सं० १५८० ) । इन्होंने तिथि, व्यवहार उद्वाह, श्राद्ध, द्राय पर भी 'संक्षेप' लिखा है । पाण्डु० तिथि शक सं० १६११ । प्रायश्चित्तव्यवस्थाग्रह - मोहनचन्द्र द्वारा । प्रायश्चित्तव्यवस्थासार -- अमृतनाथ द्वारा । प्रायश्चित्तशतद्वयो - भास्कर द्वारा। चार प्रकरणों में। । नि० सि० रघुनाथ के प्रायश्चित्त कुतुहल भाविप्रकाशितत्रकरण में व० । १५५० ई० के पूर्व । सं० टी० वेंकटेश वाजपेययाजी द्वारा; पाण्डु तिथि १६४१ (१५८४-५ ई०) । स्टीन ( पृ० ३११)। For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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