Book Title: Dharmshastra ka Itihas Part 3
Author(s): Pandurang V Kane
Publisher: Hindi Bhavan Lakhnou

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Page 614
________________ धर्मशास्त्रीय ग्रन्यसूची चिरता लोके सुभगा भवेम ) से श्लोक उद्धृत कर शरीर पर चत्र अंकित करने का समर्थन किया गया है । व्यतिषंगनिर्णय - रघुनाथ भट्ट द्वारा । व्यतीपातजननशान्तिकमलाकर भट्ट द्वारा । व्यतीपातव्रतकल्प । व्यतीपातप्रकरण । व्यवस्थादर्पण -- रामशर्मा के पुत्र आनन्दशर्मा द्वारा । तिथिस्वरूप, मलमास, संक्रान्ति, आशोच, श्राद्ध, दायानधिकारी, दायविभाग आदि स्मृति-कृत्यों एवं नियमों पर । नो० (जिल्द ८, पृ० २११) । व्यवस्थादीपिका -- राधानाथ शर्मा द्वारा। नो० (जिरुद १०, पृ० ८४ ) । केवल आशौच पर । व्यवस्थानिर्णय - अज्ञात । तिथि, संक्रान्ति, आशौच, द्रव्यशुद्धि, प्रायश्चित्त, विवाह, दाय पर। व्यवल्याप्रकाश । व्यवस्थारत्नमाला - गदाधर के पुत्र लक्ष्मीनारायण न्यायालंकार द्वारा । दायभाग, स्त्रीधन, दत्तकव्यवस्था पर १० गुच्छों में । मिताक्षरा एवं विधानमाला का उल्लेख है । व्यवस्थार्णव - अज्ञात । व्यवस्थार्णव -- रघुनन्दन द्वारा । पूर्वक्रय पर । व्यवस्थार्णव-- राय राघव के आदेश पर रघुनाथ द्वारा । व्यवस्थार्णव ---- रामभट्ट द्वारा । दे० स्मृतितत्त्वविनिर्णय के अन्तर्गत । व्यवस्थासंक्षेप गणेशभट्ट द्वारा । व्यवस्थासंग्रह - गणेशभट्ट द्वारा प्रायश्चित्त, उत्तराधिकार पर निर्णय | व्यवस्थासंग्रह - महेश द्वारा । आशौच, सपिण्डीकरण, संक्रान्तिविधि, दुर्गोत्सव, जन्माष्टमी, आह्निक, देवप्रतिष्ठा, दिव्य, दायभाग, प्रायश्चित्त के विषय में निश्चित निष्कर्षो पर । रघु० पर आवृत । व्यवस्थासार - नारायणशर्मा द्वारा ( बड़ोदा, पृ० ४५२ ) । आह्निक, आशौच, तिथि, दत्तपुत्र, विवाह, श्राद्ध पर । निम्नलिखित से भिन्न । Jain Education International १६०७ व्यवस्थासारसंग्रह - नारायणशर्मा द्वारा। उत्तराधिकार नियम पर। इसे व्यवस्थासारसंचय भी कहा गया है । नो० (जिल्द ३, पृ० १२६-१२७ एवं इण्डि० ० ४५३) जिसमें व्यक्त है कि ग्रन्थ में आशौच, दायभाग एवं श्राद्ध का विवरण है ! व्यवस्थासारसंग्रह -- महेश द्वारा । सम्भवतः यह व्यवस्थासंग्रह ही है। आ०, व्यवस्थासारसंग्रह - मुकुन्द के पुत्र रामगोविन्द चक्रवर्ती द्वारा | तिथि, संक्रान्ति, अन्त्येष्टि, आशौच आदि पर । नो० (जिल्द ४, पृ० २८९-२९१) । नो० न्यू० ( १, पृ० ३४९) में लेखक को चट्टवंश के रामगोपाल का पुत्र कहा गया है। व्यवस्थासेतु - ईश्वरचन्द्र शर्मा द्वारा । पाण्डु शक १७४१ (१८१९-२० ई० ) में उतारी हुई है । व्यवहारकमलाकर — रामकृष्ण के पुत्र कमलाकर द्वारा । धर्मतत्त्व का सातवाँ प्रकरण । व्यवहारकल्पतरु -- लक्ष्मीधर द्वारा ( कल्पतरु का अंश ) । दे० प्रक० ७७ व्यवहारकोश - वर्धमान द्वारा । तत्त्वामृतसारोद्धार का एक भाग । मिथिला के राजा राम के आदेश से प्रणीत । १५वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में । व्यवहारकौमुदी -- सिद्धान्तवागीश भट्टाचार्य द्वारा । बड़ोदा (सं० २०१०५, तिथि शक १५३५) । व्यवहारचण्डेश्वर -- संस्कारमयूख में व० । व्यवहारचन्द्रोदय - कीर्तिचन्द्रोदय का भाग । न्यायसम्बन्धी विधि एवं विवादपदों पर । व्यवहारचमत्कार --- नाथमल्ल के पुत्र भवानीदासात्मज रूपनारायण द्वारा । संवत् १६३७ (१५८०० ८१ ई०) में १३ प्रकरणों में लिखित (ड० का० पाण्डु० सं० १९९, १८८३-८५ एवं नो०, जिल्द ५, पृ० ९१) । गर्भाधान, पुंसवन, सीमन्तोन्नयन एवं अन्य संस्कारों, विवाह, यात्रा, मलमासनिर्णय से सम्बन्धित फलित ज्योतिष पर । व्यवहारचिन्तामणि -- वाचस्पति द्वारा । दे० प्रक० ९८ । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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