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धर्मशास्त्रीय ग्रन्यसूची
व्यवहारसारसंग्रह- - रामनाथ द्वारा । नो० न्यू० (जिल्द व्रतकालनिष्कषं -- मधुसूदन वाचस्पति द्वारा ।
३, पृ० १९२) ।
व्यवहारसारोद्धार --- मधुसूदन गोस्वामी द्वारा लाहौर के रणजीत सिंह के राज्यकाल में प्रणीत (सन् १७९९ ई० ) ।
व्रतकालविवेकशूलपाणि कृत । दे० प्रक० ९५ । व्रतकौमुदी - - राम कृष्णभट्ट द्वारा । व्रतकौमुदी - शङ्करभट्ट द्वारा । व्रतकौस्तुभ ।
व्रतखण्ड - चतुर्वर्ग चिन्तामणि का प्रथम भाग । व्रतचूडामणि ।
व्रततत्त्व -- रघु० द्वारा । दे० प्रक० १०२ । व्रतनिर्णय --- ओदुम्बरषि द्वारा ।
व्यवहार सिद्धान्तपीयूष -- कोलब्रुक के अनुरोध पर नंदी - पति के पुत्र चित्रपति द्वारा शक १७२५ (१८०३-४ ई०) में प्रणीत । टी० लेखक द्वारा । व्यवहारसौख्य-- टोडरानन्द का एक अंश । व्यवहारांम तिसर्वस्व --- जयसिंह के आदेश से बनारस के मयाराममिश्र गौड़ द्वारा । न्याय - विधि एवं व्यवहारपदों का विवरण ।
व्यवहारादर्श - चक्रपाणि मिश्र द्वारा । ड० का ० पाण्डु० सं० २४७ (१८८७-९१ ई० ) । भोजनविधि, अभोज्यान्न पर। पाण्डु० अधूरी है । व्यवहारार्थसार --- मधुसूदन द्वारा। यह व्यवहा रसारोद्धार व्रतप्रकाश-- अनन्तदेव द्वारा |
व्यवहारार्थस्मृतिसारसमुच्चय- शरभोजी ( तंजौर के 'राजा, १७९८-१८३३ ई० ) द्वारा । सम्भवतः यह व्यवहारप्रकाश ही है ।
व्यवहारालोक - गोपाल सिद्धान्तवागीश द्वारा । व्यवहारोच्चय - सुरेश्वर उपाध्याय द्वारा । टोडरानन्द, नि० सि०, गोविन्दार्णव, स्मृतिकौस्तुभ द्वारा उ० । १५०० ई० के पूर्व ।
व्याघ्रस्मृति-- (या व्याघ्रपादस्मृति)
मिताक्षरा
( याज्ञ० ३।३० ), अपरार्क, हरदत्त द्वारा व० । ब्यासस्मृति--- दे० प्रक० ५२ । जीवानन्द (२, पृ० ३२१३४२) एवं आनन्दाश्रम ( पृ० ३५७ - ३७१) द्वारा मु० । लग० २४८ श्लोक | टी० कृष्णनाथ द्वारा ।
व्रजतत्त्व ।
व्रजपद्धति ।
व्रतकमलाकर-कमलाकर भट्ट द्वारा । दे० प्रक० १०६ । व्रतकल्प - निर्णयदीपक द्वारा उ० । व्रतकालनिर्णय - आदित्यभट्ट द्वारा । व्रतकालनिर्णय - भारतीतीर्थ द्वारा ।
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व्रतपञ्जी -- द्रोणकुल के देवसिंह - पुत्र नवराज द्वारा । व्रतपद्धति --- रुद्रधर महामहोपाध्याय द्वारा । दे० प्रक०
९६ । एक पाण्डु० लक्ष्मणसेन संवत् ( ल० स० ) ३४४ (१४६३ ई०) की है । ह० प्र० १३ एवं ७३ । व्रतप्रकाश-वीरमित्रोदय का एक अंश । व्रतप्रकाश---- देखिए व्रतराज ।
व्रतप्रतिष्ठातत्व- रघु० द्वारा। देखिए 'व्रततत्त्व' । व्रतप्रतिष्ठाप्रयोग - ( या साधारणव्रतप्रतिष्ठाप्रयोग ) । व्रतबन्धपद्धति -- गणेश्वर के पुत्र रामदत्तमन्त्री द्वारा । वाजसनेयशाखा के लिए ।
व्रतबोधविवृति - ( या वृतबोधिनीसंग्रह) तिथिनिरूपण, व्रतमहाद्वादशी, रामनवभ्यादिव्रत, मासनिरूपण, वैशाखादिचैत्रान्तमासकृत्यनिरूपण पर वैष्णवों के लिए पाँच परिच्छेद । नो० न्यू० (जिल्द २, पृ० १८२) ।
व्रतरत्नाकर ---- सामराज द्वारा। शोलापुर में सन् १८७१ ई० में मुद्रित ।
व्रतराज - कोण्डभट्ट द्वारा ।
व्रतराज --- ( व्रतप्रकाश) गोपाल के पुत्र विश्वनाथ द्वारा ।
शक १६५८ ( अर्थात् १७३६ ई० ) में बनारस में संगृहीत | ये शाण्डिल्यगोत्र के चित्तपावन ब्राह्मण थे और रत्नगिरि जिले के संगमेश्वर से आये थे। कई बार बम्बई में प्रका० । वेंकटेश्वर प्रेस वाला संस्करण नवीनतम है।
व्रतवल्ली ।
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