Book Title: Dharmshastra ka Itihas Part 3
Author(s): Pandurang V Kane
Publisher: Hindi Bhavan Lakhnou

View full book text
Previous | Next

Page 620
________________ धर्मशास्त्रीय प्रन्यसूची राघवेन्द्र के पुत्र गदाधर द्वारा; मिथिला के राजा होसिंग कुल के कृष्ण द्वारा। दे० बर्नेल (पृ० १३३ भैरवेन्द्र के पुत्र रामभद्र के शासनकाल में लग० १४५० ए)। हेमाद्रि, माधव एवं मदनरत्न का उ० है। ई० में प्रणीत। (दे० नो, जिल्द ६, पृ० २३३)। १४५० ई० के पश्चात् । दी. नारायण द्वारा। टी० प्रकाश, मथुरानाथ शास्त्रोपदेशकम। शुक्ल द्वारा। टी० माधव द्वारा। टी० पदार्थादर्श, शिङ्गाभट्टीय-नि० सि० में उ०। से० प्रा० सं०५६७० । रामेश्वरात्मज पृथ्वीधर के पुत्र राघवभट्ट द्वारा; शिवतत्त्वरत्नाकर-केलडि कुल के राजा वसप्पनायक व्रतराज में व०; लेखक का कुल जनस्थान (नासिक) प्रथम द्वारा। राजनीति पर एक अध्याय है। से बनारस आया था; १५५० रोद्रपौषसित १२ कल्लोलों में विभक्त एवं प्रत्येक कल्लोल कई तरंगों (सम्भवतः विक्रम सं०) में प्रणीत; अलवर (६६९)। में विभक्त। मद्रास से बी. एस्. नाथ एण्ड कम्पनी टी. रामदीक्षित द्वारा। टी० शब्दार्थचिन्तामणि, द्वारा प्रका। प्रेमनिधिपन्थ द्वारा। टी० हर्षकौमुदी, श्रीहर्षदीक्षित शिवदमनार्चनपद्धति-अलवर के पूर्ववर्ती राजा विनयसिंह द्वारा। के लिए प्रणीत । अलवर (सं० १४८५) । शारदा_प्रयोग-- रामचन्द्र द्वारा। शिवद्युमणिदीपिका-यह दिनकरोद्योत ही है। शालग्रामवानकल्प। शिवपूजनपद्धति-हरिराय द्वारा। शालग्रामदानपति--बाबादेव द्वारा। दे० इण्डि० आ० शिवपूजा--(अघोरपद्धति) दे० बीकानेर (पृ०६११)। (पृ० ५९३, सं० १८०५); पाण्डु० तिथि संवत् शिवपूजातरंगिणी-जयराम के पुत्र एवं जड़े विरुदधारी १८५८ (१८०१-२ ई०) । काशीनाथ द्वारा। शालपामनिर्णय। शिवपूजापति---अज्ञात । नो० (जिल्द २,पृ० २२५) । शालप्रामपरीक्षा-शंकर दैवज्ञ द्वारा । इण्डि० आ० (पृ० शिवपूजापति-राघवानन्दनाथ द्वारा। ५९२)। शिवपूजाप्रकार। शालग्रामपरीक्षा--बीकानेर (पृ० ४५०) । एक भिन्न शिवपूजासंग्रह-वल्लभेन्द्र सरस्वती द्वारा। प्रन्थ। शिवपूजासूत्रव्याख्यान-अत्रि गोत्र के पाण्डुरंग के पुत्र शालपामलक्षण--अज्ञात। नो० न्यू० (२, पृ० १८७)। रामचन्द्र द्वारा। शिव पर बौवायन सूत्र की शालग्रामलक्षण--तुरगवदन पण्डित द्वारा। व्याख्या की गयी है। नो० (जिल्द १०, पृ० . शालग्रामलक्षण-सदाशिव द्विवेदी द्वारा। ३४७)। शालंकायनस्मृति-स्मृतिच०, हेमाद्रि, मंद. पा. एवं शिवप्रतिष्ठा-कमलाकर द्वारा। नि० सि० द्वारा व०। शिवरात्रिकल्प। शालाकर्मपति-पशुपति की दशकर्मदीपिका का एक शिवरात्रिनिर्णय-शिवोपाध्याय द्वारा । दे० 'महाशिवअश। रात्रिनिर्णय शास्त्रदीप---अग्निहोत्री नृहरि द्वारा। पाण्डु ० (बड़ोदा, शिलिंगपरीक्षा। ८१३२), तिथि संवत् १६६४ (१६०७-८ ई.)। शिवलिंगप्रतिष्ठाक्रम। प्रायश्चित्त पर; व्यवहार पर एक ग्रन्थ का उल्लेख है। शिवलिंगप्रतिष्ठाप्रयोग। शास्त्रदीपार्थसार। शिवलिंगप्रतिष्ठाविधि--अनन्त द्वारा। शास्त्रसारावलि-हरिभानु शुक्ल द्वारा। शिवलिंगप्रतिष्ठाविधि-नारायण भट्ट के पुत्र रामकृष्ण शास्त्रसारोबार-द्यानन्त राव (?) के आदेश से भट्ट द्वारा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652