Book Title: Dharmshastra ka Itihas Part 3
Author(s): Pandurang V Kane
Publisher: Hindi Bhavan Lakhnou

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Page 596
________________ धर्मशास्त्रीय प्रन्थसूची १५८९ मुद्राविवरण। मुहूर्ततत्त्व-कमलाकर के पुत्र केशव दैवज्ञ द्वारा। मुनिमतमणिमाला-वामदेव द्वारा। संस्कारकौस्तुभ में व०। टी० लेखक द्वारा। टी० मुमूर्षुमतकृत्यादिपद्धति-शंकरशर्मा द्वारा। शुद्धितत्त्व कृपाराम द्वारा। टी० केशव दैवज्ञ के पुत्र गणेशदैवज्ञ __उ० है। नो० न्यू० (जिल्द ३, पृ० १५२)। द्वारा लग० १५४० ई० में प्रणीत । टी. महादेव मुहूर्तकण्ठाभरण। द्वारा; मुहूर्तदीपक में व०। मुहूर्तकलीन्द्र-शीतलदीक्षित द्वारा। मुहूर्तदर्पण---मार्तण्डवल्लभा में व०। टी. दीपिका मुहूर्तकल्पद्रुम-मुहूर्तदीपक में महादेव द्वारा व०। (मद्रास ग० पाण्डु० सं० १८७०, १८७४) । १६५० ई. के पूर्व। मुहूर्तदर्पण-प्रयाग के दक्षिण अलर्कपुर के गंगारामामुहूर्तकल्पद्रुम-केशव द्वारा। स्मज जगद्राम के पुत्र लालमणि द्वारा। अलवर मुहूर्तकल्पद्रुम-बशर्मा के पुत्र विट्ठलदीक्षित (कृष्णा- (उद्धरण, ५४४)। त्रिगोत्र) द्वारा। सन् १६२८ ई० में प्रणीत। टी० मुहूर्तदर्पण-विद्यामाधव द्वारा। टी० माधवभट्ट द्वारा। मंजरी, लेखककृत। मुहूर्तदीप---जयानन्दे द्वारा। मुहर्तकल्पाकर-दुःखभजन द्वारा। मुहूर्तदीप-शिवदैवज्ञ के एक पुत्र द्वारा। मुहूर्तगणपति--हरिशंकर के पुत्र गणपति रावल द्वारा। मुहूर्तदीपक-नागदेव द्वारा। १६८५ ई० में प्रगीत । टी० सीताराम के पुत्र परमसुख मुहूर्तदीपक-काहुजि (कान्हजित् ?) के पुत्र महादेव द्वारा। टी० परशुराममिश्र द्वारा। द्वारा। दे० ऑफेक्ट (पृ० ३३६ बी)। टी. लेखक मुहूर्तचक्रावलि। द्वारा सं० १५८३ (१६६१ ई० ) में प्रणीत। टोडरामुहूर्तचन्द्रकला--हरजीभट्ट द्वारा। लग० १६१० ई०। नन्द का उल्लेख है। मुहूर्तचिन्तामणि-अनन्त के पुत्र रामदैवज्ञ (नीलकण्ठ मुहूर्तदीपक–देवीदत्त के पुत्र रामसेवक द्वारा। के छोटे भ्राता) द्वारा । सन् १६००-१ ई० में काशी मुहूर्तदीपिका--(नि० सि० के अनुसार) कालविधान में प्रगीत। सिद्धेश्वर के संस्कारमयूख में व०। में व० । बम्बई में १९०२ ई० में मुद्रित। अलवर (उद्धरण, मुहूर्तदीपिका-बादरायण का कहा गया है। ५४२), जिससे प्रकट होता है कि नीलकण्ठ अकबर मुहूर्तनिर्णय। की सभा के पण्डित थे। इनके पूर्वज विदर्भ के थे। मुहूर्तपदवि । टी० प्रमिताक्षरा, लेखककृत; बनारस में १८४८ में मुहूर्तपरीक्षा-देवराज द्वारा। मुद्रित। टी० कामधेनु। टी० नीलकण्ठ द्वारा। मुहूर्तभूषण--(या मजीर) रामसेवक द्विवेदी द्वारा। टी० पीयूषणिका। टी० पीयूषवारा, नीलकण्ठ के नो० (जिल्द ११, भूमिका, पृ० ४)। पुत्र गोविन्द द्वारा १६०३ में प्रणीत, बम्बई में १८७३ मुहूर्तभूषणटीका-रामदत्त द्वारा। ई० में मुद्रित। गोविन्द लेखक का भतीजा था। मुहूर्तभैरव--भैरव दैवज्ञ के पुत्र गंगाधर द्वारा। टी० पर टी० रघुदैवज्ञ द्वारा। टी० षट्साहस्री। मुहूर्तभैरव--दीनदयालु पाठक द्वारा। मुहूर्तचिन्तामणि-वेंकटेश भट्ट द्वारा। मुहूर्तमञ्जरी--यदुनन्दन पण्डित द्वारा। चार गुच्छों एवं मुहूर्तचिन्तामणिसार। १०१ श्लोकों में। दे० अलवर (उद्धरण ५४५)। मुहूर्तचिन्तामणिसारिणी। सं० १७२६ (१६७० ई०) में प्रणीत। मुहूर्तचूडामणि-भारद्वाजगोत्र के श्रीकृष्ण दैवज्ञ के पुत्र मुहूर्तमंजरी-हरिनारायण द्वारा। शिव दैवज्ञ द्वारा। मुहर्तमंजूषा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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