Book Title: Dharmshastra ka Itihas Part 3
Author(s): Pandurang V Kane
Publisher: Hindi Bhavan Lakhnou

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Page 598
________________ धर्मशास्त्रीय ग्रन्थसूची मूलादिशान्ति । मूल्यनिरूपण - गोपालकृत (सें० प्रा० सं० ४३२१) । मूल्यसंग्रह -- ( या मूल्याध्याय) बापूभट्ट द्वारा । संक ल्पित दान देने में असमर्थता प्रकट करने पर धनदण्डों के सम्बन्ध में एक संक्षेप । गोपालभाष्य का उल्लेख है । पाण्डु० तिथि शक १७५६ है, नो० ( जिल्द १०, पृ० २३८) । मूल्याध्याय -- ( कुल ५ || श्लोकों में) कात्यायन कृत माना गया है। गाय एवं अन्य सम्पत्ति के दान के स्थान पर धन देने के विषय में दे० बी० बी० आर० ए० एस० (जिल्द २, पृ० १७१) । टी० कामदेवदीक्षित द्वारा, नो० न्यू० (जिल्द ३, भूमिका, पृ० ४) । टी० गोपालजी द्वारा। टी० बालकृष्ण के पुत्र विट् ल ( उपाधि वैष्णव, श्रीपुर के वासी ) ; १६७० ई० के पश्चात् । मृत्तिकास्नान । मृत्युञ्जयस्मृति - - हेमाद्रि ( दानखण्ड, पू० ७६४-६५, ७८४) द्वारा एवं दानममुख में उल्लिखित | मृत्युमहिषीदानविधि ( किसी की मृत्यु के समय भैंस का दान) | मैत्रायणीयगृह्यपदार्थानुक्रम । tereotypurद्धति मंत्रायणी शाखा के अनुसार १६ संस्कारों पर । अध्याय का नाम पुरुष है। मैत्रायणीगृह्यपरिशिष्ट-- हलायुव, हेमाद्रि एवं म० पा० द्वारा व० । मैत्रायणीयोर्ध्वदेहिकपद्धति - दे० क्रियापद्धति | मोक्षकल्पतरु -- ( कृत्यकल्पतरु या कल्पतरु का एक अंश ) लक्ष्मीधर द्वारा । दे० प्रक० ७७ । मोक्षेश्वरनिबन्ध - पारस्करगृह्यपरिशिष्ट की टी० में गदावर द्वारा व० । सम्भवतः यह मोक्षेश्वर के पुत्र ब्रह्मार्क का प्रश्नज्ञानदोष - पृच्छाप्रकरण ही है । बीकानेर ( पृ० ३२५-३२६) । मोहवूडोत्तर -- ( या मोहचूलोत्तर) हेमाद्रि ( ३।२।८८२, मोहचौरोत्तर), नि० सि० में व० । यजुर्वल्लभा - ( या कर्म सरणि) वल्लभाचार्य के पुत्र वं Jain Education International १५९१ गोपीनाथ के भाई विट्ठल दीक्षित या विट्ठलेश द्वारा । आह्निक, संस्कार एवं आवसथ्याधान (गृह्य अग्नि स्थापित करने ) पर तीन काण्ड (यजुर्वेदके अनुसार )। अलवर ( सं० १२८० ) । यजुर्विवाहपद्धति | यजुर्वेदिवृषोत्सर्गतत्त्व- रघु० द्वारा । दे० प्रक० १०२ । यजुर्वेदिश्राद्धतत्त्व -- रघु० द्वारा दे० प्रक० १०२ । यजुर्वेदीयश्राद्धविधि-ढोण्ढ द्वारा दे० 'श्राद्धविधि' । यजुःशाखाभेदतस्त्वनिर्णय-- पाण्डुरंग टकले द्वारा | बड़ोदा (सं० ३७४) । लेखक का सिद्धान्त यह है कि जहाँ कहीं 'यजुर्वेद' शब्द स्वयं आता है वहाँ 'तैत्तिरीय शाखा' समझना चाहिए न कि 'शुक्लयजु ० ' | यज्ञपार्श्व संग्रहकारिका --- पारस्कर गृह्य० पर गदाधरभाष्य में व० । यज्ञसिद्धान्तविग्रह - - रामसेवक द्वारा । यज्ञसिद्धान्तसंग्रह - रामप्रसाद द्वारा । यज्ञोपवीतनिर्णय | यज्ञोपवीतपद्धति गणेश्वर के पुत्र रामदत्त द्वारा । वाजसनेयी शाखा के लिए । यतिक्षौरविधि- मधुसूदनानन्द द्वारा बड़ोदा (सं० ५०१५) । यतिखननादिप्रयोग --श्रीशैलवेदकीटीर लक्ष्मण द्वारा । यतिधर्मसमुच्चय का उल्लेख है । यतिधर्म --- पुरुषोत्तमानन्द सरस्वती द्वारा । लेखक पूर्णानन्द का शिष्य था । यतिधर्म -- अज्ञात । यतिधमं प्रकाश -- वासुदेवाश्रम द्वारा। बड़ोदा (सं० १२२८९) । यतिधर्मप्रकाश -- विश्वेश्वर द्वारा । यह यतिधर्म संग्रह ही है । यतिधर्मप्रबोधिनी— नीलकण्ठ यतीन्द्र द्वारा | यतिधर्म संग्रह - अज्ञात (नो०, जिल्द ९, पृ० २७८) । सर्वप्रथम शंकराचार्य के अनन्तर आचार्यपरम्परा एवं मठाम्नाय का वर्णन है और तब यतिधर्म का । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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