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धर्मशास्त्रीय प्रन्यसूची
वर्ष भास्कर - शम्भुनाथ सिद्धान्तवागीश द्वारा राजा धर्म- वाग्भटस्मृतिसंग्रह - अपरार्क द्वारा व० ।
देव की आज्ञा से प्रणीत ।
वसन्तराजीय-- ( उर्फ शकुनार्णव) शिवराज के पुत्र एवं विजयराज के भाई वसन्तराज भट्ट द्वारा मिथिला के राजा चन्द्रदेव की आज्ञा से प्रणीत । बल्लालसेन के अद्भुतसागर एवं शूलपाणि के दुर्गोत्सव द्वारा उल्लिति । ११५० ई० के पूर्व । टी० अकबर के शासनकाल में भानुचन्द्रगणि द्वारा । वसिष्ठकल्प |
वसिष्ठ मंसूत्र - दे० प्रक० ९ । बनारस सं० सी० द्वारा, जीवानन्द (भाग २, पृ० ४५६-४९६ ) एवं आनन्दाश्रम ( पृ० १८७-२३१) द्वारा प्रका० । टी० यज्ञस्वामी द्वारा । बौधायनसूत्र की गोविन्दस्वामिटोका में व० । वसिष्ठसंहिता - ( या महासंहिता) शान्ति, जप, होम, बलिदान एवं नक्षत्र, वार आदि ज्योतिषसम्बन्धी विषयों पर ४५ अध्यायों में । अलवर (उद्धरण ५८२ ) । वसिष्ठस्मृति--- १० अध्यायों एवं लग० ११०० श्लोकों में। वैष्णव ब्राह्मणों के संस्कारों, स्त्रीधर्म, विष्ण्वाराधन, श्राद्ध, आशौच, विष्णुमूर्तिप्रतिष्ठा पर । इण्डि ० आ० (जिल्द ३, पृ० ३९२, सं० १३३९ ) । बड़ौदा (सं० १८८५; पाण्डु० की तिथि शक १५६४ है । वसिष्ठस्मृति-- ( या वासिष्ठी) टी० वासिष्ठभाष्य, वेदमिश्र द्वारा । राम ने वसिष्ठ से अपने वनवास का कारण पूछा है। ग्रहों की शान्ति, लक्षहोम, कोटिहोम पर। यह वसिष्ठ द्वारा माध्यन्दिनी शाखा पर आधारित है । ड० का ० (पाण्डु ० सं० २४५, १८७९-८० ई० ) ; बड़ोदा (सं० १४१२, संवत् १५६५, १५०८९ ई० ) । टीका में केवल श्लोकों के प्रतीक दिये गये हैं। इसमें आया है कि वसिष्ठ द्वारा नारद एवं अन्य लोगों को लक्षहोम सिखाया गया था । वसिष्ठहोमपद्धति ।
वाक्यतत्त्व --- सिद्धान्तपंचानन कृत । धार्मिक कृत्यों के उपयुक्त कालों पर । द्वैततत्त्व का एक भाग । वाक्यमीमांसा - नृसिंहप्रसाद में घ० । वाक्परत्नावलि - गदाधर के कालसार में ब० ।
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वाग्वतीतीर्थयात्राप्रकाश - रामभद्र के पुत्र गौरीदत्त द्वारा । वातव्याधिकर्मप्रकाश ।
वावभयङ्कर - विज्ञानेश्वर के एक अनुयायी द्वारा, वीरमित्रोदय के मतानुसार। दे० प्र० ७० । कल्पतरु द्वारा व० । १०८०-११२५ ई० के मध्य में । वाधूलवृत्तिरहस्य -- ( या वाधू लगू ह्यागमवृत्ति रहस्य ) सगमग्रामवासी मिश्र द्वारा। ऋणत्रयापाकरण, ब्रह्मचर्य, संस्कार, आह्निक, श्राद्ध एवं स्त्रीधर्म पर । वापीकूपतडागादिपद्धति ।
वाप्युत्सर्ग । वारव्रतनिर्णय ।
वाराणसीवर्पण - राघव के पुत्र सुन्दर द्वारा । वामनकारिका - श्लोकों में एक विशाल ग्रन्थ । मुख्यतः
खादिरगृह्य पर आधृत
वामनपद्धति - श्राद्धसौख्य ( टोडरानन्द) में व० । वाराहगृह्य - गायकवाड़ सी० में २१ खण्डों में प्रका० ।
जातकर्म, नामकरण से पुसवन तक के संस्कारों एवं वैश्वदेव एवं पाकयज्ञ पर ।
वार्तिकसार टेकचन्द्र के पुत्र यतीश द्वारा । १७८५ ई० में लिखित ।
वार्षिककृत्यनिर्णय | वासकर्मप्रकाश । वासिष्ठलघुकारिका ।
वासन्तीविवेकशूलपाणि द्वारा दे० प्रक० ९५ । वासिष्ठीशान्ति - विश्वनाथ के पुत्र महानन्द द्वारा ( उन्होंने संशोधित किया या पुनः लिखा ) । बीकानेर ( पृ० ४९० ) ।
वासुदेवी - ( या प्रयोगरत्नमाला) बम्बई (१८८४
ई०) में प्रका० । हेमाद्रि, कृत्यरत्नाकर, त्रिविक्रम, रूपनारायण, नि० सि० के उद्धरण आये हैं, अतः १६२० ई० के उपरान्त । मूर्तिनिर्माणप्रकार, मण्डप - प्रकार, विष्णुप्रतिष्ठा, जलाधिवास, शान्तिहोम • प्रयोग, नूतनपिण्डिका स्थापन, जीर्ण पिण्डिकायां देवस्थापनप्रयोग का वर्णन है ।
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