Book Title: Dharmshastra ka Itihas Part 3
Author(s): Pandurang V Kane
Publisher: Hindi Bhavan Lakhnou

View full book text
Previous | Next

Page 590
________________ धर्मशास्त्रीय प्रन्यसूची भक्तिजयार्णव - - रघुनन्दन द्वारा सम्भवतः प्रसिद्ध रघुनन्दन भट्टाचार्य से भिन्न । नो० न्यू० ( १, पृ० २५१)। भक्तिप्रकाश--आठ उद्योतों में वैद्य रघुनन्दन द्वारा । भक्तिमार्ग मर्यादा -- विट्ठलेश्वर द्वारा । भक्तिमार्गसंग्रह वल्लभसंप्रदाय के लिए। भक्तिरत्नाकर - शिवदास के पुत्र द्वारा। भक्तिरसामृत सिन्धु -- सुनातन द्वारा । १४६३ शकसं० ( १५४१-४२ ई०) में प्रगीत । भक्तिजयार्णव में व० टी० जीवकृत 'दुर्गसंगमनी' | भक्तिरसार्णव- कृष्णदास द्वारा । भक्तिरहस्य - - सोमनाथ द्वारा । भागविवेक --- ( धनभागविवेक) श्रीनाथ के पुत्र भट्ट रामजित् द्वारा। टी० मितवादिनी, लेखक द्वारा | मिताक्षरा पर आवृत । भारद्वाजगायं परिणयप्रतिषेधवादार्थ - भारद्वाज भक्ति धनी - बल्लभाचार्य द्वारा । गार्ग्य गोत्र वालों में विवाह के निषेध पर । भक्तिविवेक - श्रीनिवास द्वारा ( रामानुज सम्प्रदाय भारद्वाजगृह्य-लीडेन में डा० जे० डब्लू० सालमन द्वारा सम्पा० । टी० कपदस्वामी द्वारा। टी० गृह्यप्रयोगवृत्ति, भट्टरंग द्वारा । भारद्वाजश्राद्धकाण्डव्याख्या । के लिए) । भक्तिहंस - विट्ठलेश द्वारा | भक्तिहेतुनिर्णय विट्ठलेश । टी० रघुनाथ द्वारा। भगवत्स्मृति स्मृतिचन्द्रिका एवं आचारमयूख द्वारा व। भगवदर्चनविधि- रघुनाथ द्वारा भगवद्भक्तिनिर्णय--. ( या भगवद्भक्तिविवेक ) आपदेव के पुत्र अनन्तदेव द्वारा दे० प्रक० १०९। भगवद्भक्तिरत्नावली --- विष्णुपुरी द्वारा काशों में प्रणीत । लेखक मैथिल थे। टी० कान्तिमाला, लेखक द्वारा शक १५५५ फाल्गुन ( १६३४ ई० ) में प्रणीत । भण्डारकर (सन् १८८७ - २१ ई० ) । भगवद्भक्तिरसायन - मधुसूदन सरस्वती द्वारा । भगवद्भक्तिविलास -प्रबोधानन्द के शिष्य गोपालभट्ट द्वारा । २० विलामों में, वैष्णवों के लिए। गदाधर के कालसार में व० टी० ( कलकत्ता में सन् १८४५ में प्रका० ) । भगवन्तभास्कर -- ( या स्मृतिभास्कर) नीलकण्ठ द्वारा । १.२ मयूखों में विभक्त । दे० प्र० १०७ । सम्पूर्ण प्रका० (बनारस, १८७९-८०) । भट्टकारिका - नि० सि० में व० । Jain Education International १५८३ भरद्वाजस्मृति-दे० प्रक० २७| टी० बालम्भट्ट द्वारा | भर्तृसहगमनविधि । भल्लाटसंग्रह - नि० सि० ( जन्मनक्षत्रफल पर ) में व० । सम्भवतः केवल ज्योतिष पर । racafteन्ध-- प्रायश्चित्तमयूख में ब० । सम्भवतः भवदेव भट्ट का प्रायश्चित्तनिरूपण । दे० प्र० ७३ । भस्म रोगप्रकाश | भस्मवादावली | एवं भारद्वाजसंहिता- दे० भारद्वाजस्मृति ! भारद्वाजस्मृति- इस पर महादेव एवं वेणी के पुत्र वैद्यनाथ पायगुण्डे (नागोजि के शिष्य) की टी० है । दे० प्रक० १११ भारद्वाजtयभाष्य त्रिकाण्डमण्डन में भास्कर द्वारा व० । यह सम्भवतः भारद्वाजगृह्य पर कर्पादभाष्य है । हरिहर द्वारा पारस्करगृह्यसूत्रभाष्य में व० । भार्गवार्चनचन्द्रिका - तिथिनिर्णय में भट्टोजि द्वारा व० । भार्गवाचनदीपिका नि० सि० एवं रामकल्पद्रुम में व० । भार्गवानदीपिका - साबाजी ( या म्बाजी) या प्रतापराज द्वारा। अलवर (उद्धरण ६४८ ) । भाविप्रायश्चित्त (या भाविप्रकाशितप्रायश्चित्तप्रकरण) अज्ञात माधवाचार्य द्वारा व० । बी० बी० आर० ए० एस० (जिल्द २, पृ० १९७) । भाष्यार्थसंग्रह - हेमाद्रि ( ३|१|१३६०, जहाँ एक उपजाति छन्द में पदों का उल्लेख है ), स्मृतिचन्द्रिका ( आशीच पर), माधव ( कालनिर्णय में) द्वारा व० । १०००-१२०० ई० के बीच । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652