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आशौचनिर्णय - श्रीनिवास तर्कवागीश द्वारा । आशौचनिर्णय- सोमव्यास द्वारा ।
धर्मशास्त्र का इतिहास
द्वारा । आशोचमंजरी ।
आशौचमाला - गोपाल सिद्धान्त द्वारा ।
आशौचविवेक ।
आशौचव्यवस्था - राधानाथ शर्मा द्वारा ।
आशौचनिर्णय-हरि द्वारा ।
व० है ।
आशोचनिर्णय या स्मृतिकौस्तुभ -- रायस वेंकटाद्रि द्वारा ।
आशौचसार -- बलभद्र द्वारा । आशौचसिद्धान्त ।
आशौचनिर्णय या स्मृतिसंग्रह । आशौचनिर्णय या स्मृतिसार - वेंकटेश के किसी ग्रन्थ आशौचस्मृतिचन्द्रिका ।
पर टी० ।
आशौच निर्णयसंग्रह - बड़ोदा, सं० १२६०० । आशौच निर्णयटीका -- मथुरानाथ द्वारा । आशौचपरिच्छेद ।
आशौचप्रकाश - चतुर्भुज भट्टाचार्य द्वारा । सम्भवतः वही जो रघुनन्दन के शुद्धितत्त्व में व० है, अतः सन् १५०० ई० के पूर्व । आशीवप्रकाश-- ( धर्मतत्त्वकलानिधि से ), पृथ्वीचन्द्र
आशौचशतक ।
आशौचशतक - रामेश्वर द्वारा ।
आशौचशतक -- हारीत गोत्र के रंगनाथ के पुत्र वेंकटाचार्य या वेंकटनाथ द्वारा । देखिए 'अघनिर्णय' । हुल्श (२, संख्या १४९९ ) । टो० आशौचनिर्णय, जो रामानुज दीक्षित द्वारा लिखित है। आशौचशतक - नीलकण्ठ द्वारा ।
आशौचशतक - वैदिक सार्वभौम (ये सम्भवतः
वेंकटाचार्य ही हैं ) द्वारा ।
आशोचषडशीति - देखिए आशौचनिर्णय | आशौचसंक्षेप-- मधुसूदन वाचस्पति द्वारा। आशौच संग्रह --सत्या धोशशिष्य द्वारा (बड़ोदा, ५८६२ ) । आशौचसंग्रह - - चतुर्भुज भट्टाचार्य द्वारा । आशौच संग्रहविवृति भट्टाचार्य द्वारा । आशौचसंग्रह - वेंकटेश द्वारा। इसने आचारनवनीत, अवनिर्णय, अवविवेक, अभिनवषडशीति को उ० किया है।
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आशौचसंग्रह- त्रिशच्छ्लोकी-- दे० 'त्रिशच्छ्लोकी' । आशौचसागर -- कुल्लूक कृत । उनके श्राद्धसागर में
आशौचस्मृतिचन्द्रिका - गदाधर के पुत्र एवं दशपुत्र नामधारी सदाशिव द्वारा जयनगर के कुमार जयसिंह के लिए संगृहीत। लेखक ने लिंगार्चनचन्द्रिका भी लिखी है।
आशौचादर्श -- सारसंग्रह में उ० ।
आशौचाष्टक -- वररुचि द्वारा (त्रि० सं० सी० में मुद्रित ) टी० अज्ञात ; जिसमें निर्णयकार, गौतमधर्मसूत्र के भाष्यकार मस्करी एवं सहस्रस्वामी के नाम आये हैं ।
आशौचादिनिर्णय - राम दैवज्ञ द्वारा । आशौचीयदशश्लोकीविवृति - लक्ष्मीधर के पुत्र विश्वेश्वर द्वारा । दे० 'आशौचदशक' (दशश्लोकी) । आशौचेन्दुशेखर -- राम दैवज्ञ द्वारा । आशोचेन्दुशेखर--नागोजिभट्ट द्वारा । आश्वलायनगृह्यसूत्र--निर्णय० प्रे० में मुद्रित, बिब्लि - योथिका इण्डिका सीरीज एवं एस्० वी० ई०, जिल्द २९ में अनूदित | टी० अनाविला, हरदत्त द्वारा ( ट्राएनिएल कैट ० ) । टी० तंजौर के राजा साहजी एवं सर्कोजी प्रथम के मन्त्री आनन्दराय वाजपेय यज्वा द्वारा । टो० गदाधर द्वारा । टो० विमलोदयमाला, अभिनन्द के पिता एवं कल्याणस्वामी के आत्मज कान्त-पुत्र जयन्तस्वामी द्वारा । नो० जिल्द १५ पृ० १६३ । लग० १८वीं शताब्दी के अन्त में। टी० देवस्वामी द्वारा; नारायण द्वारा व० । लग० १०००१०५० ई० । नैध्रुवगोत्र के दिवाकर- पुत्र नारायण द्वारा (बिब्लियोथिका इण्डि० एवं निर्णय० प्रे० में मुद्रित ), देवस्वामी के भाष्य की ओर संकेत । आश्वलायन श्रौत के भाष्यकार नरसिंहके पुत्र नाराकी पहचान संदिग्ध है । दे० बी० बी०
आर०
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