Book Title: Dharmshastra ka Itihas Part 3
Author(s): Pandurang V Kane
Publisher: Hindi Bhavan Lakhnou

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Page 555
________________ १५४८ १५२४, तिथि सं० १६८३, १४०० ई० के उपरान्त । तिथिनिर्णय सर्वसमुच्चय । तिथिनिर्णयसार - मदनपाल द्वारा । दे० प्रक० ९३ । तिविनिर्णयेन्दुशेखर-नागोजिभट्ट द्वारा । तिथिनिर्णयोद्धार - ( या लघुतिथिनिर्णय या निर्णयोद्वार) राघवभट्ट द्वारा । दे० ऊपर तिथिनिर्णय । इसे तिथिसारसंग्रह भी कहा जाता है। तिथिप्रकाश-गंगादास द्विवेदी द्वारा । तिथिप्रकाशप्रकाशिका | तिथ्यर्कप्रकाश- दिवाकर द्वारा ( क्या यह उपर्युक्त तिथ्यर्क ही है ? ) । तिब्याक्तिस्वनिर्णय लोगाक्षि भास्कर द्वारा बड़ोदा (सं० ५७७२, तिथि १६०५ सं० १५४८-९ ई० ) । दीपिका, कालादर्श, माधव एव निर्णयामृत का उल्लेख है, अतः १४०० ई० के पश्चात् । तिब्यादिनिर्णय- गोपीनाथ द्वारा । तिथ्याविनिर्भय - पद्मनाभ कृत ( योगीश्वरसंग्रह का तिथिप्रदीपक-भट्टोजि द्वारा । तिथिप्रदीपिका-नृसिंह द्वारा । विद्यारण्य का उल्लेख है। भाग; पाण्डु० सन् १७०७ ई० में उतारी गयी ) । तिष्याविविधिसंग्रह - रघूत्तम तर्कशिरोमणि द्वारा । नो० न्यू० ( जिल्द २, पृ० ७५) । तिष्युक्तिरत्नावली - हरिलाल मिश्र द्वारा । तीर्थकमलाकर -- रामकृष्ण के पुत्र कमलाकर भट्ट द्वारा । दे० प्रक० १०६ । ग्रन्थ का एक नाम सर्वतीर्थविधि भी है। तिथिप्रदीपिका- रामसेवक द्वारा ! तिथिमञ्जरी --- लालभट्ट -महादेव ज्ञानेश्वर गणेश द्वारा । तिथिरत्न --- महादेव द्वारा । तिमिरत्नमाला - चिन्तामणि के पुत्र अनन्तात्मज नील- तीर्थकल्पलता --- अनन्तदेव के पुत्र गोकुलदेव द्वारा । तीर्थकल्पलता - नन्दपण्डित द्वारा । दे० प्रक० १०५ । कण्ठ द्वारा । धर्मशास्त्र का इतिहास तिथिवाक्यनिर्णय दे० नारायण भट्ट का तिथि- तीर्थकल्पलता - वाचस्पति द्वारा । तीर्थकाशिका - गंगाधर द्वारा व० । तीर्थकीमुवी बल्लाल के पुत्र शंकर द्वारा । तीर्थचिन्तामणि का उल्लेख है । यह तीर्थोद्यापनकौमुदी ही है। निर्णय । तिथिविवेक - शूलपाणि द्वारा; रघुनन्दन के तिथितत्त्व में ब० । टी० तात्पर्यदीपिका, श्रीकर के पुत्र श्रीनाथ आचार्यचूड़ामणि द्वारा । लग० १४७५१५२५ ई० । नो० न्यू० (जिल्द २, पृ०७३-७४) । पाण्डु० १५१२-१३ ई० में उतारी गयी । तिथिव्यवस्थासंक्षेप | तिथिसंग्रह - ( या सर्वतिथिस्वरूप ) सुरेश्वर द्वारा । तिथीन्दुशेलर - नागेशभट्ट द्वारा । तिथ्यर्क - भारद्वाज गोत्र के बालकृष्णात्मज महादेव के पुत्र दिवाकर द्वारा ; आचारार्क के लेखक (दोनों धर्मशास्त्रसुधानिधि के भाग हैं) । लग० १६८३ ई० । अनुक्रमणिका, उनके पुत्र वैद्यनाथ द्वारा । तिथ्यर्कपर्वनिर्णय ( बड़ोदा, सं० ५९४७) लेखक का कथन है कि प्रयोगरत्न के लेखक नारायणभट्ट उसकी माता के प्रपितामह थे । अतः लेखक की तिथि लगभग १६५० ई० है । Jain Education International सौर्थकौमुदा -- सिद्धान्तवागीश भट्टाचार्य द्वारा । तीर्थचिन्तामणि- वाचस्पति मिश्र द्वारा । पाँच प्रकाशों बिब्लि० इण्डि० सी० द्वारा प्रका०, रघु० के शुद्धितत्त्व में एवं नि० सि० में व० दे० प्रक० ९८ । तीर्थतस्व - ( या तीर्थयात्राविधि ) रघु० कृत । यह उनके स्मृतितत्त्वों के २८ तत्त्वों के अतिरिक्त है । तीर्थदर्पण - (दे० 'ऋजुप्रयोग' ) विश्वनाथ के पुत्र भट्टराम ( होसिङ्ग उपाधिवारी) द्वारा । तीर्थनिर्णय - (या कुरुक्षेत्र तीर्थनिर्णय) रामचन्द्र द्वारा । तीर्थपरिभाषा व्यास की। तीर्थमञ्जरी मुकुन्दलाल द्वारा । तीर्थयात्रातस्व - रघुनन्दन द्वारा । यह तीर्थतत्त्व ही है। दे० प्रक० १०२ । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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